Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
संबंधी
उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[त-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
साहित्य
प्रत
औ०१९
सूत्रांक यहां देखीए
जी०२१ प्रज्ञा०२२
दीप
TAK
क्रमांक के लिए देखीए
तए पं० अत्ताणं संपलद्धं २०-८१सूतए . केसालंकारेण २०-४३सू० तए णं ताओ सुभद्दा० १९-३७० सूर्य०१२३ , अयभारगं वा २०-६९सू० | ,, केसीकुमारसमणे २०-५९१०
१९-३३० | चं०/२४ , आमिओगिए. देवे २०-२५० , चाह ठाणेहि चि०२०-६सू० , ० तुज्झे नाणे वा २०-६४सू० ० २५ आहोहिया २०-६३सू०
चत्तारि अग्गमहिसी२०-४५सू० ,,तुभं इय हेयाणं २०-७२खू०नि० २६ इमेयारू २०-८०सू०
चत्वारि य सामा०२०-४०० ,, णं ते आमिओगीया २०-८सू०प्रकी०२७ इयडेयाणं दक्खा २०-७२० चंपाए सिंघाड०१२-२७१० , ते आवाडचिलाया २५-५८सू० इहं उबबिसामि २०-६५सू० चित्ते सारही २०-६०१० ,,,यह ये माणिया २०-१३सू० उत्तरपुरस्थिमं० २०-०सू. जिणिदाभिगमणा. २०-२६० "" से मणुआ भरहं २५-४७सू० उम्मुकबालभाये २०-८४सूर
णञ्चासपणे २०-१९सू० .. गंतेसि सामाणिय०२०-४२० उवट्ठाणसालाए २०-६७सू० णो आढाति २०-२३सू०
दढपतिपणे २०-८३स० एगं भार्ग बलवाह.२०-७९सू. णं तस्स भ० अण्णया २५-६८० पं० दिव्वं देवहि २०-२५० , एसा पण्णा उपमा २०-६६सू०
" " भरहस्स २५-४४० ,, परिसाए जाव २०-२०सू० .., कर आयरिया पं०२०-७७सू०
, पंचागीयपरि० २०-२७सू० ,,, कलं पाउप्पभायाए.२०-६२सू० "" बिजयस्स २१-१४४सू० , पायत्ताणिया० २०-१२सू० .. णं कृणिअअस्सा बहवे १९-३२५० """ सूरियाभस्स २०-६० , वहवे देवकुमारा २०-२४० ,, कूणिए सुअक्खाए १९-३६सू० । .. तहत्ति आणाए २०-१२सू०
भवसिद्धिए अभ० २०-२१सू० ., f० केइ पुरिसे तरुणे २०-६८सू० ,तं दिव्यं . २०-२५सू०
मम अजगस्स २०-७५सू ॥ ३५॥
'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
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