Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
संबंधी
साहित्य
प्रत
सूत्रांक
यहां
देखीए
दीप
क्रमांक
के लिए
देखीए
रावृत्तिक
आगम
सुत्ताणि'
ओ० १९
रा० २०
जी० २१ प्रज्ञा०२२
॥ ३३ ॥
जीहार विलिहतो जुअलसिलासंथारे जुत्तस्स उत्तम
जुत्तस्स० सुक्खं संथा० जुते पमाणरइओ
जे अहिअपरमत्था
जे अ न अकित्तिजणए
उत्तरेण इंदा
11
कडुमदुमुन्यन्ना
कुम्मसंखताडण
केइ नालियावद्धा
55
जेण विरागो जायद
बि रागो
"
उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि
[ ज-कार ]
मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य)
59
33
15
13
21
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| जेणंतरेण निमिसंति
जे दंसणवावन्ना
जे दाहिणाण इंदा
२७-७२६ जे पयणुभक्त्तपाणा
पुण अट्टमईया
२७-१६८० २७-६३०
२७-६३१
२७-१५८४
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गुरुपडिणीया तिगारबजढा
वट्टविमाणा
२७--७५२
सुसंपन्ना
35
93
२७-७६४ पोग्गला अणिड्डा २७-९५८ मे जाणंति जिणा २७-१८९१ २७-१२६०
33 23
31
२२-८७ जोअणमद्धं तत्तो जोक्षणसहस्समेगं
२७-२३९
जो अस्थिकायधम्मं ज अ विमाणुस्सेहो जो आरंभ बट्टद जोइसस्स य दाराई जोइसियाणं० देवाणं
२७-१५३१ २७- १७१८ २७- ५७६ २७-२०९६ : २७-९५७
13 33
11
11
23
23
23 22
32
55
35
~39~
२७- १३६५ | जोइरियाणं पुच्छा देवाणं २२-२०१० २७-९९ जो उ प्यमायदोसेणं
२७-७४८
२७-१२७३
२७-१०५ जोपसु किलामंति २७-१२८७ जो कुंवगावराहे २७-१९४४ जोगा देवय तारग्ग २७-१९९१ जो गारदेण मत्तो
२७-१६६१
२५-१००
२१- १६ जोगो देवय तारग्ग २७-१५३ जोग्गं पायच्छित
२७-१३५५ जो जत्तो वा जाओ २७-१६५७ जो जस्ता विक्रखभो
२७-२०१८ को जि.प. भावे २७-९६० जो जोगओ अपरिणा० २२- १३१ जोसियस हस्ते सु २७-११२६ जोणी मुहनिंग्गच्छंतेण २७- १३२६ जोणीमुहनिष्फिडिओ २४-१५ जोतिसियाणं देवाणं २२- १३६० जो तिहिं परहिं धम्मं
२७-६१९
२५-१२०
२७-१३६१
२७-८२७
२७-१०१९
२२-१२२
२७-१३४३
२७-१८२७
२७-१६२१
२७--५३३
२४-९८सू० २७-१६६२.
सूर्य० | २३ चं० २४ जं० २५
नि० २६ प्रकी०२७
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