Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [इ-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए औ०१२ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥९ ॥ सूर्य०२३ चं०/२४ जं. २५ नि० २६ प्रकी०२७ दीप क्रमांक के लिए देखीए इक्को जायइ मरद | इको मे सासओ अप्पा इका यहोइ रयणी | इको है नस्थि मे कोई इक्खू य इक्बुवाडी इच्छामि० उत्तमढे पनि इच्छामि भंते! उत्तमट्ठ इच्छामुत्ति भणित्ता इच्छामो अणुसहि इच्छिजइ जत्थ सया इट्ठजणविप्पओगो इटाणिद्वेसु सया इणमो सुगइगइपहो इम्हि व मुहुत्तेणं इहि सयं बिसिस्स उ इति एस पाहुडत्था इति एस पाहुडत्था BEPORNKTUESARJEEEXEX २७-९४७८ | इत्थ किर विमाणाणं २७-९०९ | इमा णं भंते ! रयण कतिविधा २७-१४९ | इत्थ० चत्तारि महासुके २७-२१०० २१-७०सू० | इत्थ पुण भावणाओ २७-१२९४ | इमाणं भंते! रयणप्पभा० केवतियं | इत्थि विसेसो भण्णइ २७-१३१४ | बाहल्लेणं० २१-६९सू० | इस्थिवेदस्स णं भंते! कम्म० २१-५२सू० | इमी० रयण नेरया २१-८४सू० इत्थीए णाभिहिट्ठा २७-४५६ | इमीसे f० णरगा किंमया २१-८६० २७-१सू० इत्थीणं भंते ! इस्थित्ति का०२१-४९सू० इमीसे ण णेरइयाण० किं संघयणी ? २७-२९५ | इत्यी गं भंते ! ठिती० २१-६४सू० २१-८८० २७-४३० . २१-४७सू० इमीसे गं० रतिया० कहिं गच्छति ? इत्थी णं भंते! अंतरं० २१-५०सू० २१-१२सू० २७-१८४४ इमाओ अट्ठ सुयाओ २७-१८९८ | इमीसे पं० रतियाण केरिसया २७-१४९९ | इमा णंभंते !रयणकिं सासया पोग्गला २१-८९सू० २७-१८६४ ....२१-७९सू० | इमीसे रतियाणं केवतिय २७-२६१३ |इमा णं भंते ! रयण किंसंठिता! | | कालं ठिती २१-९१सू० २७-१६१० २१-७५सू० | इमीसे गं० तीसाए नरया० २४-९८ इमाणं भंते ! रयण दोच्चं पुढवि० २१-१४सू० २४-२०७०। • २१-८१सू० । , मेरइया कतो० २१-८९सू० پایانی 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~15

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79