Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
संबंधी
उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[ क-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
साहित्य
प्रत
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०
सूत्रांक यहां देखीए
0/
औ०१९ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२
॥१८॥
दीप
क्रमांक के लिए देखीए
SANEKANA
कतिविधे णं कोधे २२--१८९२० | कतिसमतिए णं केवलि० २२-३५०० | कयपावोऽपि मणुस्सो २७-१६३19
, परिणामे २२-१८१५० | कत्थइ अइदुप्पिक्खो २७-१७९५ कयपावोऽवि मणसो २७-१४६५ कतिविहा, इंदिया० २२-२०१सू० |
जं० २५ , दुविहिपहि
२७-१३३७ , जोणी० २२-१४९सू० , सुहं सुरसम
नि० २६ २७-२८७५ २२-१५१सू० कत्थ य मुद्धमिगत्ते
| कयरे ते बत्तीसं देविंदा २७-९३६ २७२१७९४
प्रकी०२७ , परियारणा०२२-३२५सू० कप्पतरुसंभवेसु
करकरिए रायग्गल
२७-१४८६ " पासणया "
कलहं अभक्खाणं २२-३१४सू०
२७-२०२ ,णिोया २१-२३९सू०
२७-१४९४ कप्पम्ति सहस्सारे २७-११०५ " संसारसमा० २१-१०१सू० कप्पाओ कप्पम्मि उ
२७-२३६७ कल्लं कल्लंपि वरं
२७-११२५ , वेदणा. २२-३३१सू० कप्पाकप्पविहिन्नू
२७-३४३ | कल्लाणपरंपरयं
२७-१५६७ २२-३३२सू० कप्पे सर्णकमारे .
२७-११२०
कल्लाणफलविवागा कतिविहे ० असपिण. २२-२६७सू० कमलामेलाहरणे
२७-५९४ २७-१६६८
| कल्लाणं अब्भुदओ " , इंदियउव० २२-१९९सू०
कहं चंदमसो बुढी कम्मटुक्खयसिद्धा . २७-२४ , पओगे २२-२०२० कम्मरस आसवं
कहं ० जीवे अट्ट कम्म० २२-२९०सू०
२२-१८०८ ,.,, भंते ! इंदिय २१-१९२सू०
कहि पं० अणवत्रियाणं २२-४९सू० | कम्मासवदाराई
२७-१८५४ वयगे २२-१७३सू० | कम्हा केवली समु० २२-३४८सू०
... ईसाणाणं २२-५३सू० | कतिसमतिए पं० २२-३४९० | भंते! लवण २१-१५७सू | " " 1
२५-८९सू० ॥१८॥
اثاثة
'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
~24~

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