Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम
संबंधी
उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[ क-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
साहित्य
प्रत
सूत्रांक
यहां देखीए
औ०१९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥२०॥
जं० २५
ای دایا
दीप क्रमांक के लिए देखीए
कहि णं भंते ! बादरवाउ० २२-४०० | कहि णं अडे पण्णते २५-१४सू०
गत्त २५-१४सू० कंदा य कंदमूला य २२-१०८सू ये। २३ ,,,बेइंदियाणं २२-४१सू० ,, सूरियामे णामं० २०-२७सू० | कंपलसाडे णं आवेढिय० २२-१९८० चं ०२४ ,,, भवणवासि० २९-११७सू० ,, हेमवए
२५-७८सू० कंबूयं कन्नुकड
२२-४२ ,, रयण मेरह० २२-४३सू० , भवणवासीणं २२-४६मू० काइयवाइयमाणसिय
नि० २६ वाण देवाणं २२-४७सू० , बेमाणियाणं
२२-५२० । काईदीनयरीए
२७-६६२ प्रकी०१७ , वाणमंतराणं २१-१२२सू० , सोहम्मगदेवाणं २२-५२सू० काऊण तिहिं घिउणं - २७-८८९ ,,,, विजयस्स २१-१३६सू० कहि पडिया लेसा
२४-२ काऊण नमुक्कार ,,वेमाणियाणं २१-२०८लू० , सिद्धा
कागसुणगाण भक्खे सिद्धार्ण ठाणा २२-५४सू०
. " "
. "
२२-१५९ | का देवदुगई सुट्टियस्स २१-१६२सू०
२७-१२०८ कामभुअंगेण दट्ठा २७-३८५ "मणुस्साणं पज्जत्ता० २२-४५सू० कंगू या कंडुइया
२२-३१ कामविडंबणचुका ., महाविदेहे० २५-८७सू० | कंचणपुरम्मि सिट्ठी २७-१६५८ कामासत्तो न भुणइ २७-३८८ , , उत्तर० , २५-८८सू०
२७-१६८ कारणमकारणेणं
२७-८०८ ., मालवंते हरिस्सह २५-९३सू०
२७-१४७० का रंति व का लेणा २४-९३८ ,,, मंदरए पव्वए सो०२५-१०६सू० | कंदप्प कोकुयाइय २७-१२९६ | कारनामयनीसंद० २७-२९४ , मंदरपचए पं० २५-१०७० |, देवकिब्बिस २७-१०२ | कालत्तएविन मयं
२७-४५ ...मंदरे पव्वए पं० २५-१०५सू० ।,
२७-१२९५ | काला असुरकुमारा २२-१४६
॥ २०
'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
~26~

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79