Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 27
________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ क-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए औ०१९/ काले अपहुप्पते रा० २० , कालण्णाणं जी० २१० केरिसहि. प्रज्ञा०२२/ काले भंते ! कुमारे ॥२१॥ य महाकाले " सुरुवपुणे कालो परमनिरुजो कालोय णं समुई किच्छाहि पावियम्मियि किच्छाहिं पाबिउं जे किण्हं राहुबिमाणं २७-३३३ | किण्हा नीला लोहिअ २७-१९७९ | किं तं पंडियमरणं २७-१५१६ नसूय०१२३ २५-३४ | कित्तिअमित्तं वण्णे २७-५३७ .. तु महिलाण तासि २७-३९५० /२४ २६-९सू० कित्तिया य बिसाहा य २७-८८२ , पुण अणगार० २७-१७८६० २० २६-१९सू० कित्तियाहिं विसाहाहि २७-८७१ २७-२१५ नि० २६ २२-१५० कित्तीगुणगम्भहरं २७-१२३९ " पुण , २७-१५०७1 प्रकी०२७ २७-९९७ | किन्नर किंपुरिसे खलु २२-१५१, ,पुण अणगारसहायगेहिं २७-६९८ २७-२००५ २७-९९८ , पुण तरुणो अबहुस्सुओ २७-७७४ २७-५०४ | किमाइआ पं० संवच्छरा २५-१५५सू० |, पुण सपञ्चवाए २७-४९३ २१-१७७सू० किमिकुलसयसंकिण्णे , २७-५३८. , पुत्तेहिं पियाहि व २७-५७८ २७-१३०६ | किमिरासिभद्दमुच्छा २२-५२ | कीर बीअपएणं २७-७९५ २७-१८३९ किसिपारासरढंढो २७-१७३२ कुग्गहपरूढमूलं २७-३२८ २१-६८ किर ताव घरकुडीरी २७-५३५ कुरुदत्तोवि कुमारो २७-६७१ -२५-७२ | किं इत्तो लट्टयर २७-१३७९, कुरु मंदर आवासा २२-२२६ २७-२०७१ किं च तं.नोवभुत्तं २७-३१४ कुलगामनगररजं .२७-७३३ २७-२०४ , चित्तं जइ नाणी २७-१७४१ - कुल्लइरम्भि य दत्तो '२७-१७२६ २७-२२१९ , जायं जइ मरणं २७-१७८८ - कुलुउरमि पुरवरे २७-६५७ २७-१४९५ ,तं पंडियमरणं २७-२२५ | कुंभारकडे नगरे २७-२७३ ॥२१॥ XERMERSALAR HERSXXSA 'सवृत्तिक आगम किण्हा नीला काऊ सुत्ताणि ~27~

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79