Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
संबंधी
साहित्य
प्रत
सूत्रांक
यहां
देखीए
दीप
क्रमांक
के लिए
देखीए
रावृत्तिक
आगम
सुत्ताणि'
औ० १९ रा० २०
जी० २१ प्रज्ञा०२२
॥ ८ ॥
उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि
[ आ-कार + इ-कार ]
मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य)
आसी तं बत्तीसं
आसी य खलु आउसो ! आसी य समणाउसो !
आसीयं बत्तीसं
आसी सुकोसलरिसी आसुकारे मरणे
आसेहिय हत्यीहि य आहारण ० पुच्छा आहारगसरीरे णं० कतिविधे आहारनिमित्तणं अह
मच्छा०
33
23
53
23
27
33
आहारभविय सण्णी०
आहार समसरीरा
आहारे उवओगे
आहारो उस्सासो
15
59
२१-६ २७- १५० २७-१६सू०
२२-१३४
२७-६४९
२७-६९ २७-१८१४ २२- २४६सू० २२-२७४० २२-१८६
२७-११४
२७-१४८३
२७-१८७
२२-२२० २२- २०९ २२ ९ २२-५८४
आहारो ऊसासो
आहारो परिणामो आहिंडिऊण वसुहं
इअ उबएसामय० इअ कलिऊण सहरिसं इअ खामिआइआरो इअ जीवपमायमहारि० इअ जोइसर जिणवीर
इअ तस्स बहुगुणदे० इअ तह विहारिणो
२७-२९२
२७-६९३
२७-६३
२७-४४६
२५-१६
२७-६९५
इअ वंदणखामणगरिहणाहि २७-३२५
इअ सिद्धार्ण सुक्ख
इकस्स उ जं गहणं इक अप्पाणं जाणिऊण इकं० खिप्यं सो मरणाणं
इच सय सहस्स इकं पंडियमरणं
२७-११६० कं पंडियमरणं २७- (४६७) प्र० २७-६६३ इक्कंमिवि जमि पप २७- ४२९
23
V ~14~
२७-१२२५
२२- १०० २७–१२६३ २७-१५१५ २७-१०३८ २७-२२३
33
33
35
वि० [ तस्स
सो तेण०
33
इकाई अग्गिजालाह
31
33
इकार जलुम्मीए इकाइ वायुगुंजा०
कार बिज्जुयार
इक्कारस य सहस्सा इक्किकम्मि य जुयले
31
55 35
इको उप्पजए जीवो
इको करे कम्म
53
29
२७-१४८० २७-२८२
२७-२३८
२७-१५३०
२७–१५२९
२७-२३७
२७-२३६
२७-९९०
२७-९८५
२७-९८७
२७-९८९
२७-१०५३
२७-१००२
२७-९५५
२७-१४७
२७-१७७
२७-१८२०
सूर्य० | २३ चं० २४
जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७
॥ ८ ॥

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