Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम संबंधी साहित्य
उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[ अ-कार + आ-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत सूत्रांक
जं० २०
देखीए
दीप क्रमांक के लिए देखीए
औ०१९ अहवा तिबिहा० पजत्तगा०२१-२५३सू० | अहवा सब्वं चित्र ।
२७-१८ अंतो मणुस्सखेते
२७-१०७५ य०२६ रा० २० अहवा तिविहा० परित्ता० २१-२५२सू० | अहवा सुवण्णमासा
२७-५१२ अंतोमुत्तका जी०२१|श्रा अहवा तिविहा भवसिद्धिया
अह सो आलोअणदोसजिनं २७-२९७ अंधियपत्तियमच्छिय २२-१९१नि० २६ प्रज्ञा०२२ अह सो जिणभत्ति २७-१२ | अंबटा य कार्लदा य
२२-११९मकी०२७ अहवा तिविहा. सण्णी० २१-२५५मूग | अह सो दुकडगरिहा
| आइयतेअतविआ अहवा तिविहा० सुहुमा २१-२५४सू० अह सो निराणुकंपो २७-६७०
२४-२९ अहया दसविधा०पढमसम २१-२७३२० | अह सोधि चत्तदेहो
२७-६५८ आइच्यतेयतविया अहवा दुविहा० चरिमा चेव २१-२५०० अह सो सामाइअधरो २७-३०९ | आउनेयसमती
२७-१२४८ अहवा दुविहासभासगा य २१-२४२सू० अहाज देसविरओ।
आउसो! एवं जायस्स २७-१३सू० अहवा दुविहा सव्वजीवा०२१-२४८सू० | अंजणगुणसुविसुद्ध
आउसो! जंपिइमं सरीरं २७-१३सू०(ब) अहवा विहा सव्वजीवा २१-२४६स० अंतरं बायरस्स०
आउसो! तओ नवमे मासे २७-११सू० अहवा पंचविहारइया०२१-२६३सू० अत्तं (न्तं)परजोगेहि य २७-१३४१ आउसो! से जहानामए २७-२७सू० अहवा सत्तविहा० कण्हलेस्सा अंतो चउरंसा खलु २७-९६१ आकंपणं अणुमाणर्ण २७-२३५८
२१-२६७सू० अंतो णं भंते ! मणुस्स० , २१-१८०मूक आगममयप्पभाविय २७-२४०३ अहवा समाहिहेडं २७-६७६ | अंतो गं० माणुसुत्तरस्स० २५-१५१सू० । आगरसमुट्ठिय तह २७-१५८७ | अंतो मणुस्सखेत्ते
२१-७२ आणयपाणयकप्पे अहया समाहिहेउं सागारं २७-३२१ |
"
KANENE
'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
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