Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 20
________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ए-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए औ०१९ रा०२० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥१४॥ जीवाणे दीप क्रमांक के लिए देखीए TULASARRIAGE एगा जोयणकोडी २७-१२०४ | पतेसि . अभिई २५-१६०० पतेसि० देवाणं कायपरि० २२-३२९सू० एगा य होइ रयणी २२-१६५ २५-१५८सू० ,, नेर वेदणा० २२ ३४ासू० एगांवि सा समत्था , कयरे २५-१५७सू० , पं० सं० पढौ २४-६८सू० पगाहेण तवस्सी २७-१३६८ ओरालिय० २२-२७९सू० " भंते! इत्थीण २१-६३सू० एगिदियसरीरादी २२-२१९ २२-२७८सू० २१-९८सू० पादियाण जीवा णाणी २२-२९६सू० चंदिम० २५-१७०सू० " " औरइय० २१-६१० पगूरुयपरिक्खेवो २१-२५ २५-२६९सू० र० २१-२२४० एगे जंबुद्दीवे २७-१०७८ २१-२०७० ,, तिरिक्ख०२१-५१सू० | एगो एगिथिए २७-८०२ २१-२००० एत्थ किर अतिवयंती २१-१४ एगो मे सासओ अप्पा २७-८९ २५-१७५० एत्थ पं० पच्छाणुताबिए २०-७६सू० पगोरुयदीवस्स णं २१-११२सू० २४-९५सू० एत्थ य भिन्नमुहुत्तो २१-२४ एगो वह जीवो २७-८८ , छप्पण्णाए २४-६२सू० एयमवहाररासि २५-(५०७टी०) एगो बिमाणवासी २७-१७५७ , जी० कोहसमु. २५-३४३सू० एयस्स बंदजोगो २७-१०२९ एगो सयंकडाई २७-१४५३ " , वेदणा० २२-३४०सू० एवं खु जरामरणं २७-५२९ एतासि भंते! तिरि० २१-५१सू० " सच्चभासगा०२२-१७५सू० , पञ्चक्लार्ण २७-१३२ पतेसि ० अट्ठावीसाए २५-१५९सू० , , सलेस्साणं २२-२१६सू० २७-२४५ ", अभिई० २५-१६१सू० । तिरिक्खजोणियाणे २२-२१८सू० । २७-२७५ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ॥१४॥ ~ 20~

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