Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 18
________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ उ-कार + ए-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक चं०:४ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ देखीए HETANARRATEEK ॥ १२॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए उवहींइ व नियडीह २७-१३५० | एअस्स पभावेणं पएसि० जी० पोग्गलाणं २२-८१सू०सूय१९३ उवही सरीरगं चेव २७-२४२ | एआई सोहइत्ता २४-(२२२टी०) " भवसिद्धि०२२-७८सू० २७-१४२ एवारिसे शरीरे भासगाणं २२-७३सू० जं० २५ उवागच्छित्ता तते गं २५-५९सू० एए उ अहासूरा २७-२७४० जीवाणं आमि० २२-६८सू० नि० २६ उब्बत्तण परिवत्तण २७-२५६५ एए, अहोरत्ता चक्खुदंसणीणं-२२-६९सू० प्रकी०२७ उब्बेयणयं जम्मण २७-१७८ | एए, समासेणं " सम्मदिट्ठीण २२-६७सू० २७-१८१ | एए चेव उ भावे २२-१२३ , सयोगीणं २२-६३सू० २७-१७९ | एएते निजवया २७-१५६८ , सलेसाणं २२-६६० २७-१८० | एए णव णिहिरयणा , सवेयगाणं २२-६४सू० २७-११० एए बारसदा २७-२०९४ , सन्नीण २२-७७सू० उब्वेवणयं २७-१४७९ | एए विकसियनयणे २७-९४८ " सागारोवउत्तार्ण उसमे णं अरहा कोसलिए २५-३२० एपसि पं० कण्हलेसाणं २२-२२१सू० २२-७१० २५-३४० जी० आउयस्स २२-९०सू० " सुदुमाणं २२-७६सू० , , पंचउत्तरा० २५-३३सू० ___ , आहारगाणं २२-७२सू० , संयताणं २२-७०सू० उसिणे तगरऽरह २७-१७२४ " , चरिमाणं २२-८०सू० ... देवाण कण्ह० २२-२२०सू० उस्सप्पिणि२ अढाइ २१-९० पजत्ताणं २२--७५सू , धम्मस्थिकाय० २२७९सू० उस्सासा निस्सासा , परित्ताणं २२-७४सू० । , नेरदयार्ण २२-२१७सू० ॥ १२॥ 20YEESEASESEX 'सवृत्तिक आगम RAZZERS सुत्ताणि ~18~

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