Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Puja Prakash Chhabda
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 17
________________ 125 22 126 126 127 24 | 128 | 128 27 129 130 131 131 132 15-21 आयु के आस्रव के कारण 22-23 नामकर्म के आस्रव के कारण | योग वक्रता एवं विसंवादन में अन्तर तीर्थंकर नामकर्म के आस्रव के कारणभूत सोलहकारण भावना 25-26 | गोत्र के आस्रव के कारण किस जीव के कौन-से गोत्र का उदय होता है अन्तराय के आस्रव के कारण सप्तम अध्याय । सप्तम अध्याय विषय-वस्तु व्रत के भेद व्रत के प्रकार पाँच व्रतों की पाँच-पाँच भावनाएँ अहिंसा व्रत की पाँच भावनाएँ | सत्य व्रत की पाँच भावनाएँ अचौर्य व्रत की पाँच भावनाएँ ब्रह्मचर्य व्रत की पाँच भावनाएँ । परिग्रह त्याग व्रत की पाँच भावनाएँ " हिंसादि से विरक्त होने की भावना व्रती के चिन्तन योग्य अन्य भावनाएँ व्रती को वैराग्य बढ़ाने के लिए भावनाएँ पाँच पाप हिंसा के भेद | हिंसा के अन्य प्रकार से भेद पर जीव के घात रूप हिंसा के प्रकार हिंसा के त्याग के लिए जाने 13 . प्रमाद के भेद 132 133 133 134 134 9-10 135 11 136 12 136 13-17 137 13 137 137 | 13 | 13 | 13 138 138 138 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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