Book Title: Swapna Pradip Shakun Saroddhar Author(s): Vardhamansuri, Manikyasuri Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ पुस्तकमां आपेल बीजो ग्रन्थ शाकुनसारोद्धार छे. जेनो शाकुन शास्त्र तरीके पण उल्लेख थयो छे. आ ग्रन्थना कर्ता आ. श्री माणिक्यसूरीजी म. छे. तेमने वि. सं. १२३८ मां आ ग्रन्थ रच्यो छे. (जै. सं सा. इ.) ११ प्रकरणमां ग्रन्थनो समावेश कर्यो छे आ ग्रन्थ कर्ता अंगे विशेष माहिती प्राप्त थइ नथी। शकुन विषय मां नरपति जयचर्या ग्रन्थ (१२३२ ) धारानां आम्रदेवनां पुत्र जैन गृहस्थ नरपतिए लखेल छे बीजा ग्रन्थोमां शकुनदी पिका, शकुनप्रदीप ( श्री लावण्य शर्मा ), शकुनविचार, शकुन सप्तत्रिशिका, शकुन रत्नावलि याने कथाकोश (श्री अभयदेव शिष्य श्री वर्धमान), शकुनावलि याने बीजकौस्तुभ (महर्षि गौतम ) शकुनावलि (श्री हेमचन्द्र ) ग्रन्थो छे. (जै. स. सा. इ.) शकुनोना प्रसंगो अनेक वाचवा मले छे. भरत महाराजा बाहुबलीने जीतवा जाय छे त्यारे अनेक अपकुशन थयानुवर्णन छे. रुद्रसोमाए पोताना पुत्रने दृष्टिवाद भणवा कह्य भने ते पुत्र आर्यरक्षित प्रयाण करे छे इक्षुना भारा मले छे तेना उपरथी साडा नव वस्तुनु ज्ञान नकी करे छे. पेथडशाह विद्यापुर छोडी मांडवगढ आवे छे त्यारे नाका पासे सर्पनी फेण ऊपर बेठी दुर्गा अवाज करे छे. पेथडशाह ते आश्चर्य जोइ भयथी उभा रही जाय छे. ते वखते जाणकार शास्त्रज्ञए कह्य वणिक् ! तमे अज्ञान छो. जो भय विना जात तो राजा थात हवे तमे नगरमां जशो तो राजा नहीं पण राजा जेवा थशो. पेथडशाह मांडवगढमां गया अने सारङ्गदेव राजाना मन्त्रीश्वर बन्या। ___ आ रीते स्वप्न अने शकुनज्ञान उपयोगी छे, परन्तु ते धर्मशास्त्र नथी अने तेथी ते शास्त्र धर्मप्रेमी श्रद्धाशील विवेकी जीवो For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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