Book Title: Swapna Pradip Shakun Saroddhar
Author(s): Vardhamansuri, Manikyasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ********** र प्रास्ताविक * Xxxkkkkk** जैन शासनमां कल्पसूत्र दर वर्षे वंचाय छे तेमां भगवानना च्यवन समये माताने आवेला चौद स्वप्ननु वर्णन छे. प्रभूना पिता पण स्वप्नना फल जाणवा पाठकोने बोलावे छे भने अष्टांग निमित्तना कुशल पाठको फल कहे छ । आ स्वप्नशास्त्र अंगे अनेक ग्रन्थो छे. श्री जिनवल्लभसूरिजी म. ए ११६७ मां स्वप्नाष्टकविचार, श्री सर्वदेवसूरिजी महाराजे १२८७ मां स्वप्नसप्ततिका (टीका), श्री जिनपतिसूरिजी म. ना शिष्य श्री जिनपाल उपाध्यायजी म. ए १२९४ मां स्वप्नविचारमाध्यादि रच्या (जै. सा. इ.) स्वप्नशास्त्र श्री दुर्लभराजना पुत्र जैन गृहस्थ श्री जगद्देवे (१२२०) अने स्वप्न प्रदीप या स्वप्नविचार श्री वर्धमानसूरिजी म. ए रचेल छे. (जै. सं. सा इ.) आ पुस्तकमां स्वप्न प्रदीप जेनु बीजु नाम स्वात्मावबोधजस्वप्नविचार छे ते लेवामां आव्युछे, जेमां ५ उद्योत छे, अने श्री कल्पसूत्रमा ७२ स्वप्नानो उल्लेख ते विगेरे आमां जणाव्या छ। कर्ता रुद्रपल्लीयगच्छीयाचार्यदेव छे. तेओ क्यारे थया अने आ ग्रन्थ क्यारे रच्यो ते जाणी शकायुनथी। For Private and Personal Use Only

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