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'जयोदय' नामक काव्य रचा जो बहुत पहले प्रकाशित हो चुका है। तत्पश्चात् मुनिवर्य ने यह काव्य ' रचा है। इस काव्य का हिन्दी भाषा में अनुवाद भी पाण्डित्य - पूर्ण और कवि के भाव का भली भांति अभिव्यञ्जक है। हम इस काव्य के बहु प्रचार की कामना करते हुए कविवर का स्वागत करते हैं।
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