Book Title: Sudarshanodaya Mahakavya
Author(s): Bhuramal Shastri, Hiralal Shastri
Publisher: Digambar Jain Samiti evam Sakal Digambar Jain Samaj

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Page 177
________________ 47 55 सुदर्शनोदय - गत - सूक्तयः सूक्ति पृष्ठ सूक्ति पृष्ठ अहो दुराराध्य इयान् परो जन : भुवि वर्षामिव चातकः करोत्यनूढा स्मयकौतुकं न लतेव तरुणोज्झिता किमु बीजव्यभिचारि अंकुर 49 लोहोऽथ पार्श्वद्दषदाऽञ्चति हेमसत्त्वम् गृहच्छिद्रं परीक्ष्थताम् 108 वह्निः किं शान्तिमायाति क्षिप्यमाणेन दारुणा 126 जिनधर्मो हि कथञ्चिदित्यतः ___50 वार्बिन्दुरेति खलु शुक्तिषु मौक्तिकत्वम् 65 तिष्ठेत्सदाचारपरः सदाऽऽर्यः 130 सत्सम्प्रयोगवशतोऽङ्गवतां महत्त्वम् 65 धर्माम्बुवाहाय न कः सपक्षी 63 सम्पतति शिरस्येव सूर्यायोच्चालित रजः 125 प्रायः प्राग्भवभाविन्यौ प्रीत्यप्रीती च देहिनाम् 62 स्वभावतो ये कठिना सहें कुतः परस्याभ्युदयं सहेरन् 46 फलतीष्टं सतां रुचिः सुगन्धयुक्तापि सुवर्णामूर्तिः 32 8888880098507003000 5000000000ww छन्द-सूची सुदर्शनोदय की रचना संस्कृत और हिन्दी के जिन छन्दों में की गई है उनकी सूची इस प्रकार हैं : संस्कृत छन्द हिन्दी छन्द संस्कृत छन्द हिन्दी छन्द इन्द्रवज्रा प्रभाती उपेन्द्रवजरा काफी होलिकाराग उपजाति कव्वाली वियोगिनी छंदचाल वसन्ततिलका रसिक राग द्रुतविलाम्बित - सारंग राग शार्दूलविक्रीडित श्यामकल्याण राग वैतालीय सौराष्ट्रीय राग इनके अतिरिक्त अनेक गीतों की रचना हिन्दी पद्य रचना में प्रसिद्ध अनेक तों पर की गई है. उनकी विगत इस प्रकार है - १. पृ. 70 'भो सूखि जिनवरमुद्रां पस्य' इतयादि गीत की चाल 'जिनगुण गावो जी ज्ञानी जाते सब संकट टर जाय' की तर्ज पर । २. पृ. 73 'तव देवांघ्रिसेवां' इत्यादि गीत की चाल - 'क्यों न लेते खबरियां हमारी जी' की तर्ज पर । ३. पृ.88 'प्रभवति कथा परेण' इत्यादि गीत की चाल 'सुनिये महावीर भगवान् हिंसा दूर हटाने वाले, की तर्ज पर। ४. पृ. 97 'घनघोर सन्तमसगात्री' इत्यादि गीत की चाल - ‘हित कहत दयाल दयातें सुनो जीया जिय भोरे को बातें, की तर्ज पर। ५. पृ. 99 'चन्द्रप्रभ विस्मरामि न त्वाम्' इत्यादि गीत की चाल - 'दीनानाथ काटो क्यों न करम की बेड़ी जी' की तर्ज पर। ६. पृ. 99 'सुमनो मनसि भवानिति धरतु' इत्यादि गीत की चाल - 'तेरी बोली प्यारी मुझे लगे मेरे प्रभुजी' की तर्ज पर। ७. पृ. 114 'जिनयज्ञमहिमा ख्यातः इत्यादि गीत की चाल 'मैं तो थारी आज महिमा जानी' की तर्ज पर। ८. पृ. 122 'देवदत्तां सूवाणी सुवित् सेवय' इत्यादि गीत की चाल - 'जिनवाणी हम सबको सुना जायगे' की तर्ज पर। ९. पृ. 122 ‘इह पश्याङ्ग सिद्धशिला भाती। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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