Book Title: Sudarshanodaya Mahakavya
Author(s): Bhuramal Shastri, Hiralal Shastri
Publisher: Digambar Jain Samiti evam Sakal Digambar Jain Samaj

View full book text
Previous | Next

Page 176
________________ विधु विनति विपणि विरागभृत् विरोधिता विलोमता विवर विषादी विसर्ग वीनता वृतति चन्द्रमा प्रार्थना हाट, दुकान वैरागी विरोधपना प्रतिकूलता छिद्र विष-भक्षी दान सत्तम सदीक्ष सन्धानक सन्निधि सन्निवेस सप्तार्चि समर्घ समाकूत समुद्वाह सम्व्यवाय सहकारतरु सहिमा सागस् सायक साल सितहुति गुरुड़ाश्रिता वेला वैजयन्ती वैलक्ष्य लता, वृत्ति समय, वारी पताका, ध्वजा अस्वाभाविकता निरर्थक श्रेष्ठ सहपाठी अचार समीप रचना अग्नि बहुमूल्य अभिप्राय विवाह मैथुन आम्रवृक्ष हिम (बर्फ)युक्त अपराधी बाण एक वृक्ष चन्द्रमा नदी, समुद्र चूना, अमृत अमृतबाहिनी नदी चन्द्रमा सुन्दर स्वर्ग पुष्प पुष्प, सुचेता सुंगधि मदिरा स्वर्गलोक व्यपार्थ सिन्धु शतयज्ञ शय सुधा शर्करिल शलभ शवभू शशाङ्क शस्वत् शस्य शाखी शाण शाप शुचिराट् हाथ बाण रेतीला पतंगा स्मशान चन्द्रमा सदा उत्तम वृक्ष सुधाधुनी सुधांशु सुन्दल सुपर्वाधिभू सुम सुमनस् सुरभि सुरा सुराङ्क कसौटी सेतु पुल सौध शेवाल शेलूष श्रणानाक श्रणत् श्रीपथ श्लक्ष्ण श्वेतांशुक दुराशीष शुद्धदेव सेवार, काई नट, अभिनेता विचरणस्थान देता हुआ राजमार्ग चिकना श्वेत वस्त्र संकाश संहति स्तनित स्तनन्धय स्तम्बक स्थविर स्फीति स्फुलिङ्ग स्मर पक्का मकान समान समूह मेघ-गर्जन शिशु, बालक गुच्छा वृद्ध भेद खुलना चिनगारी कामदेव भौंरा (ह) षट्चरण षट्पद भौरा वर्ष हायन हृषीक इन्द्रिय (स) मित्र, मंत्री सचिव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 174 175 176 177 178