Book Title: Sudarshanodaya Mahakavya
Author(s): Bhuramal Shastri, Hiralal Shastri
Publisher: Digambar Jain Samiti evam Sakal Digambar Jain Samaj
View full book text
________________
मुरली मुद्रा
बांसुरी
मुहर, सिक्का (य)
पूतता पूतना पूत्करण पृषदङ्क पौलोमी प्रतत प्रतिमायोग प्रतीप प्रपा प्रशस्ति प्रावृष् प्रेतावास
पवित्रता राक्षसी चिल्लाहट चन्द्रमा इन्द्राणी विस्तृत स्थिर आसन प्रतिकूल
यथाजात यद्दच्छा याम
नग्न मनमानापना पहर
प्याऊ
रक्ताक्षिका
यशोशान वर्षा स्मशान
रजनी रतीशकेतु रत्नाकर
रम्भा
भन्दता भाल भास्वात् भुजग
रव
भद्रता मस्तक सूर्य सर्प, जार भौंरा मेंढक सर्पिणी सर्प
(२)
भैंस रंगमंच रात्रि काम-पताका समुद्र दांत केलवृक्ष शब्द एकान्त गुप्त, गोपनीय कान्ति, रोग अभिलाषी सद्दश विलासिनी वीर्य
पृथ्वी का स्वर्ग (ल)
स्त्री लुटेरा
रहस् रहस्य रुक् रुक्कर रुख रुपाजीवा रेतस् रोदसी
भेक भोगवती भोगी
मकरन्द मञ्जु सञ्जुल मञ्जुलता
पराग, केसर सुन्दर मनोहर सुन्दरता
ललना लुण्टाक
शहद
मधु मधुला
मधुरा जरासा, अल्प राजा, बुद्धि कामदेय
वडिश
वंसी
वप्र
मिर्च
मनाक् मन्तु मन्मथ मरिच मरु मरुत्सख महर्घ महिषी महिषोचरी मार
वयस्य वर्मित वल्लकिका वशा
कोट मित्र, साथी कवच-युक्त वीणा
रेगिस्तान अग्नि बहुमूल्य पट्टरानी, भैंस रानी का जीव काम
हथिनी स्त्री
वामा
वासस् वाहा
वस्त्र भुजा पक्षी
वि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 173 174 175 176 177 178