Book Title: Sudarshan Charit
Author(s): Udaylal Kashliwal
Publisher: Hindi Jain Sahitya Prasarak Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ श्रीवीतरागाय नमः। श्रीसकलकीर्तिआचार्यकृत सुदर्शन-चरित। अथवा . . पंचनमस्कारमंत्र-माहात्म्य । मंगल और प्रस्तावना। श्री वर्द्धमान भगवान्को नमस्कार है, जो धर्मतीर्थके चलाने वाले और तीन लोकके स्वामी हैं, तथा संसारके बन्धु और अनन्तसुख-मय हैं। और कर्मोका नाशकर जिन्होंने अविनाशी सुखका स्थान मोक्ष प्राप्त कर लिया है। श्रीआदिनाथ भगवान्को नमस्कार है। धर्म ही जिनका आत्मा है, जो बैलके चिह्नसे युक्त हैं और युगकी आदिमें पवित्र धर्मतीर्थके प्रवर्तक हुए हैं। इनके सिवा और जो तीर्थकर हैं उन्हें भी मैं नमस्कार करता हूँ। वे संसारके जीवोंका उपकार करनेवाले और सबके हितू हैं,

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52