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सुदर्शन संकटमें। पड़ेगा कि वह भी उन चीजोंसे जुदा नहीं है । स्त्रियोंके स्तनोंको देखिए तो वे भी रक्त और मांसके लोंदे हैं। आँखोंमें ऐसी कोई खूबी नहीं जो बुद्धिमान् लोग उनपर रीझें । उनका उदरे देखिए तो वह भी विष्टा, मल, मूत्र आदि दुर्गन्धित वस्तुओसे भरा हुआ, महा अपवित्र और बिलबिलाते कीड़ोंसे युक्त है । तब बुद्धिमान् लोग उसकी किस मुद्देपर तारीफ करें: रहा स्त्रियोंका गुह्याङ्ग, सो वह तो इन सबसे भी खराब है। उसमें मूत आदि खराब वस्तुयें स्रवती हैं
और इसीलिए बह ग्लानिका स्थान है, बदबू मारता है, और ऐसा जान पड़ता है मानों नारकियोंके रहनेका बिल हो। तब वह भी कोई ऐसी वस्तु नहीं जिसपर समझदार लोग प्रेम कर सकें। स्त्रियोंके शरीरमें जो जो वस्तुयें हैं, उनपर जितना जितना अच्छी तरह विचार किया जाय तो सिवा नफरत करनेके कोई ऐसी अच्छी वस्तु न देख पड़ेगी, जिससे प्रेम किया जाय।
___ इसके सिवा यह परस्त्री है और परस्त्रीको मैं अपनी माता, बहिन और पुत्रीके समान गिनता हूँ। उनके साथ बुरा काम करना महान् पापका कारण है। और इसीलिए आचार्योंने परस्त्रीको दर्शन-ज्ञान आदि गुणोंकी चुरानेवाली और धर्मकी नाश करनेवाली, नरकोंमें लेजानेका रास्ता और पापकी खान, कीर्तिकी नष्ट करनेवाली और वध-बन्धन आदि दुःखोंकी कारण बतलाया है । और सचमुच परस्त्री बड़ी ही निंदनीय वस्तु है। जहरीली नागिनको, जो उसी समय प्राणोंको नष्ट कर दे, लिपटा लेना कहीं अच्छा है, पर इस सातवें नरकमें लेजाने