Book Title: Subhashit Ratna Bhandagaram
Author(s): Narayanram Acharya
Publisher: Nirnaysagar Press
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: सस्थाननिर्देशमनुक्रमकोशः
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अयमवसरः सर. (सु.११२८) २१९।२ अरक्षितं तिष्ठति (शा.प.४४६) ९१।४७ | अर्थी लाघवमु (न.र.२) १७९।१०३१ अयमविचारितचारुतया ८९।४ अरण्यं सारङ्गै
१७७९९० अर्थेन तु विहीनस्य (पंच.२.९२) ६५७ अयमसौ गगनाङ्ग - २९४।४३ अरण्यरुदितं कृतं (पंच.१.२५५) ४०५५ / अर्थों गिरामपिहितः ३१।३१ अयमुदयति चन्द्र.. ३०११७६ अरतिरियमुपै (शा.प.३४२७) २८४।१७ | अर्थो नराणां पति १७३१८६८ अयमुदयति चन्द्रो ३०१।७५ अरविन्दमिदं (सा.द.१०.२७) २७८।१५ अर्थो नाम ज (शा.प.४०४६) ३६४।२७ अयमुदयति (शा.प.३७३८) ३२७११० | अरविन्दवृन्दमकरन्द . ३२५।९ | अर्थो विनैवार्थनयो ६९।२४ अयमुदयमहीभृन्मू ३२३॥३१ अरविन्देषु कुन्देषु २४०।९० अर्थोऽस्ति चेन्न (स.१७६) ४०५३ अयमुदितो हिमरश्मि १९६।११ | अरसिकजनभाष १७०।७५४ | अर्थो हि कन्या (अ.शा.४.२१) ३६२।१४ अयश्चणकचर्वणं फणि ७२०५८ अरातिविक (का.प्र.१०.४०८) १०३।६३ | अर्थ दानव (शा.प.१२५९) १११।२४९ अयशः प्राप्य (पंच.२.११६)१६५।५३१ अरावप्युचितं (शा.प.१४०१)१४६।१७१ | अर्धं सुप्तो निशा (भर्तृ.१.४७) ३४५/४६ अयाचितः सुखं दत्ते ९१।१८ | अरुचिनिशया
१७५।९३१ अर्धचन्द्रवदाकारं
१८५।२१ अयि किं गुणवति .२३९२८२ अरुणकिरणजालैर ३२२।५ | अर्धचन्द्रसमायुक्तं
१८५।२८ अयि कुरङ्गि तपो २३३।१०३ अरुणजलदराजी ३२३।३० अर्धरात्रे दिनस्यार्धे १८७२५ अयि कुरङ्गि तुर २३३।१०४ | अरुणनयनं सभ्रूभङ्गं ५।४३ | अर्धस्मितेन विनिम २७३।११ अयि जलद यदि (शा.प.७७९)२११।१६ | अरुणरागनिषे (रघु.९.४३) ३३२।५३
| अर्धाङ्गाहितपौर्वकी १३६।५१ अयि त्यक्तासि कस्तू २४७१५७ | अरुणिताखिल (शिशु.६.२१) ३३२।६९ | अर्धाञ्चिता
१२६१३६ अयि दलदरविन्द २४४।२३४ | अरुणे च तरुणि(सा.द.१०.८५) ३०९।६ | अर्धोन्मीलितलो (शा.प.११५) २४।१५३ अयि दुष्कृतकेन
२४२।१८१ | अरुन्धतीकामपुरं २६९।४१७ | अर्पयति प्रतिदिवसं ३५९/८० अयि बत गुरुगर्व २४७६० अरैः संधार्यते (पंच.१.८९) १४४१८७/ अर्पितं रसित
३१५।३० अयि मकरन्दस्य २४३।२१६ अर्कच्छायं तिरयति २७३।२० | अलंकरोति यः श्लोकं
૨૮૮ अयि मन्मथचूत (श.त.२२) ३१२१३४ अर्घायाम्बुधिरिन्दु १३७१६२. अलंकरोति हि जरा
९५१ अयि मलयज महि २३७४२ | अर्चिष्मन्ति विदार्य (शा.प.१०५) १३३ | अलंकारः शङ्काक(का.प्र.९.३६९)९३।९४ अयि मालति सौर २३९।८५ | अर्जुनः कृष्णसंयुक्तः २५९/६३ | अलं हिमानीपरिदीर्ण ३४६।१२ अयि रोषमुरीकरो २१६।१४
अर्जुनस्य इमे बाणा १८६।४ | अलकाश्च खलाश्चैव ५४।११ अयि सखि शस्तः १८९।५० अर्जुनीयति यदर्ज
६४।१४ | अलतको यथा (पंच.१.१६१) ३४८।१७ अयुक्तं युक्तं वा १५२१४१३ | अर्थः सुखं कीर्ति (शा.प.धी.५) ७७९ | अलक्षितकुचाभोगं
३४५/४८ अयुक्तं खामि (चा.नी.१५.७)१५८।२८८ अर्थग्रहणे न तथा ५॥१४८ | अलक्षितगतागतैः १२४७ अयुक्तं बहु भाष
१००४ अर्थनाशं मनस्ता (चा.नी.७.१)१५३।२८ अलङ्घयत्वाजनैर (किरात.११.४०) ८५।५ अयुद्धे हि यदा (हि.२.१७१) १४७१२१९ अर्थप्राणविना
३७६।२६१, अलङ्ग्यं तत्तदु (किरात.११.६०) ७९१० अये कीर श्रेणी , २२७११९४ | अर्थागमो नि (म.५.१०५७) १७११८२३ | अलब्धं चैव (हि.२.७) १६३६४६८ अये केयं लीला (शा.प.३५१८)२७३।१५ अर्थातुराणां न (विक्रम.१३२) १७२१८४५ अलब्ध्वापि धनं (शा.प.१४५०) ८७१६ अये को जानते ३५३।३८ | अर्था न सन्ति न
६७५० अलभ्यं लन्धु (कविता.७०) १५६।१६१ अये ताल व्रीडां २४१।१४१ | अर्थानामर्जनं (सु.२८१५) १६७।६४१ | अलमतिचपल (शा.प.५६६) २५२।४४ अये नीलग्रीव (शा.प.८७०)२२६।१७३ | अर्थानामीशिषे (सु.२४७४) ८१।४८ | अलमलमघृण (शा.प.३५१३) २९२।२ अये नृपतिमण्डली १३३।१२ | अर्थान्केचिदुपा (शा.प.१६८) ३३५१ | अलसभुजलताभिर्ना १३१।११ अये मधुप मा कृथा २२४।९९ | अर्थार्थी जीवलो (पंच.१.९) ६४।१ | अलसवलितमु (मालती. १.३१) २७९।५९ अये मातर्दृष्ट्वा मुखम २५८०४९ अर्थाहरणकौशल्यं ३८।१४ | अलसवलितैः (अमरु.४) २८६।१३ अये मातस्तातः
१३२।२१ अर्था हसन्न्यु(भर्त.सं.३८२) १७६।९५६ | अलसविलसितानामु २७९।५८ अये यदि समी
१२२।१७६ अर्थिनां कृपणा (शा.प.२७५) १०३।५३ अलसस्य कुतो (चा.नी.३५) १६०३२० अये लाजानुचैः पथि ६५६ अर्थिनि कवयति ७२।४१ / अलाभात्पुरुषागां ३४९।४९ अये वापीहंसा २२६।१६२ अर्थिने न तृणवद्ध ६९।२१ अलिकुलमजुल(सा.द.६.२६२) २५३।१० अये वारांराशे (शा.प.१०९५)२१६।२४ | अर्थिप्रत्यर्थिलक्षर १०२।५० | अलिपटलैरनुयातां (शा.प.७९१) २१४।२ अयेऽस्तमयते शशी - ३०८।१५ | अर्थिभ्रंशबहूभ (सु.२५१७) १०७।१८३ | अलिभिरजन
३३२।५१ अये हेलावेलालु. (शा.प.७७५)२१३१५२ / अर्थी करोति दैन्यं (शा.प.३१९) ७५।१२ | अलिरनुसरति परि १७०।७५०
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