Book Title: Subhashit Ratna Bhandagaram
Author(s): Narayanram Acharya
Publisher: Nirnaysagar Press
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राजानः
राजानमेव (पंच. १.४२)
राजा नाम
राजानो यं (शा.प. १३२४) १४५ | १३५
राजा पश्य
राजा बन्धु ( पंच. १.३७७) राजा मत्तः (हि. ३.१८)
राजेति क्षण
राजौ द्विजा (नैषध.७.४६) राज्ञः संबो
सस्थाननिर्देशमनुक्रमकोशः
१६६।५६७ रामाद्याचय १४९ । ३०१ रामाभिषेके (हनु. ३.३) १४७।२२४ | रामार्चिता ८।११८ रामाबिलोल
राजा राजा (सु. ९७ ) राजा (वृ. चाणक्य . ६.१०) राजा राष्ट्र (वृ.चाणक्य.६.१०) ३९१/६०६ राजा वे (वृ. चाणक्य. १७.१९) ३९२।६०६
१६०।३१२ | रामेण त्रिः सप्त (शिशु . १८.७०) रामे प्रव्रजनं (विक्रमच. ८०) रामो नाम (कृष्ण. कर्णा. २.७२) १७३।८५७ | रामो हेममृगं (वे. १५) राजा संप ( भोजप्र.५२ ) १४७ १९८ राष्ट्रस्य चित्तं राजास्य जगतो (का. नी. १. ९) १४२।१ |रासोल्लासभ ( गीत.१.४.१२)
राजाश्रय
राजीवमिव (काव्या. २.१६) राजीविनीवि
राजीव जीव (प्र.राघव. १.३६) २७१।३५ | रिक्ताः कर्मणि (शा.प. १३३०) ३४४।१० रिक्तेषु वारि (कुब . ३१) २१४९ | रिङ्गत्तुङ्गतरङ्ग
११२।२७४ रामं सीतां १४८।२५२ राम त्वत्की
१५०।३२३ | रामरामे ( रामरक्षा. ३८)
१८९।६२ रे खल तव १८४।७३ रेखा काचन १८८।३६ |रे चाञ्चल्य (भामिनी. प्रा. ५७) २३२/८० रामाणां रमणीय (अमरु. १२३) ३२६।२८ रेजुर्भ्रष्टा १२।२९ | रेजे पुष्पैग्रष्म
१३०९७
३३५/१
१८१।२८ | रेतः शोणि (शांति.श.१.२६) ३७६।२५९ १२/५३ | रेतोरतमया
२६।२०४
२१४।८०
२५९/९५ रे धाराधर (चात. ७) १३०/९९ ९४।१०८ २४।१५५ ३७८|४१ | रे पद्मिनी
रे धृष्टा धार्त (शा. प. ४०८७) - ३६७|१४ रे पद्माकर याव (शा.प.११३२) २१९।१२ रे पद्मिनीदल (शा.प. ११३३) २४४।२२७
२४४।२१९
१७२।८२९ रे पान्थाः
३३५।१४१
१८२।३४
२४।१६८ रे पुत्र सत्सङ्ग १५१।३६३ | रेफ व्यञ्जन
१२०।१४४
२२१।१८
२००।३८ | रुचिधाम्नि भर्तरि (शिशु. ९.१३) १५० । ३३० | रुचिभिर
३३६।१८ | रे बालकोकिल (शा.प. ८४७) २२५/१३३ १३७/७२ | रे राजहंस (शा. प. ८०४ ) ११५।३१ | रिपुरिव सखी ( गीत. ७.१६.२) २८४।२३ रे रे कोकिल (भर्तृ.सं. ७१९) २२५।१३१ २६१।१५७ रिपुत्रियः किं १२४|४ | रे रे खलाः ३१।३२ २९४।४१ रेरे घर २६०।१०१ ३०४।१६० | रे रे चातक (भर्तृ.सं. ७२१) २२६।१६६ २४४।२२३ | रे रे दीप १८६२ रे रे निर्दय (इनु. ५.२२) ३९२।६१६ रे रे पान्थ
२४७/६७
२९९।२५ | रे रे रसाल १२२।१७५ | रेरे रासभ
२४०।११३
२३४।१३८
३६५/५६
७१।४४ रे रे लोकाः ११६।७२ रे रे शिष्टबकोट (शा.प.८९५) २२९।२३१ ३१६।५९ रे लाङ्गलिक (शा.प. ११८५) २४६।३९ २८८।१९ रेवावारिणि (शा.प. ९२२) १५०।३३६ |रे सारङ्गा २३४।१२९
९५।१२५
२८३।१६५
रोगशोक (हि. १.४१)
१६९।७१९
६०।२४१
रोगी चिर (शा.प. २५८९)
१७०।७६८
५८।१६७
१२९।६१
२२८/२१६ रोगोऽण्ड (सु. ३८३) ३४९।३० रोदोरन्ध्रं - (शिशु. १८.१५) २८५।३८ | रूढस्य सिन्धु (शा.प. १०६०) २४३।१९४ रोमन्थमारचय (भर्तृ.सं. ७२३) २३३।१०६ ६६।११ रूपं जरा ( वानरा. ४) १७३।८७२ | रोमावलि १३८।१ रूपमप्रति (शिशु. १०.३७) ३१५/४० रोमावलीं ३४३।९१ || रूपयौवनसंपन्ना (सं. पाठोप. ५३)
२६७३५२
३९१९
८६।२
३५०/५
रोमावली र ( नैषध. ७.८४) २३८।६६ | रोलम्बस्य (शा. १.१०११) १७९।१०२८ | रोलम्बाः
२२०१२ | रोलम्बैर्न (शा.प. ९७६)
राधामधु
राधामुग्ध ( गीत. ५.११.६) राधामोहन (साहित्य. कौ. ४.६) राम वानर
९ सुभा • अनु
राज्ञस्तु
राज्ञामस्य (नैषध. १२.५८) ११०।२४० रुचिरति
राज्ञामाज्ञा
२१८३
राज्यं शत
१४३।५५ १४७१२२२
१५०।३२४ | रुचिरखरवर्णपदा (शा. प. ५२३) राज्ञि धर्मिणि (भोजप्र. ४४) १४५/११९ | रुजन्ति (भा. १२.१२५१४) राज्ञि मात १४६।१६३ || रुद्धनिर्गमन ( कुमार. ८.६० ) राज्ञो मानधन (वेणी. ४.१ ) रुद्रस्यापि ३६६/९ राज्ञो विपद्बन्धुबियो (दश.रू.) ३८५।३३४ रुद्रोऽद्विं जलधिं (सु.५४३) राज्यं येन रुधिर विसर (का. प्र. ४.७७ ) रुन्धती नयन (किरात. ९.६७) रुष्टे का परपुष्टे (भर्तृ.सं.७१७) राज्ये सारं (काव्यालं. ७.९७) १७१८०२ रुष्टोऽपि रात्रिः काल रूक्षं वपुर्न (सूक्ति. २४.४) २९२।३४ रात्रिः सैव (भर्तृ. ३.४५) ३७५।२२७ | रूक्षं विरौति (सु. ४३८ ) रात्रिरागमलि (किरात.९.१६) २९७ १० रूक्षस्यामधुरस्य (शा.प.८८४) रात्रिर्गमिष्यति (भर्तृ.सं.७१२) २२३।७८ रूक्षायां स्नेह (पंच.४.५८) रात्र रात्रौ जानु ( भोजप्र. २३३) रात्रौ रवे (कुव.३५)
राज्य (हि. २.१८१)
रात्रौ वारिभरा (अमरु. ५४ ) राधा पुनातु (कृष्ण. कर्णा. २. २५) २६।१९९ रूपवांश्चापि
६५
२२।११२ | रूपसंपन्न (नल.चं. १.२२) २५।१७२ रूपसौरभ २५।१८६ रूपेणा (पंच. ४.२२६) १९१८७१ रे कूप जीव
५७।१३७
२५६/५०
२८२।१३९
३५५/८३
२६७/३४३
रोमावलीदण्ड ( नैषध.७.९०) २६८।३७९ रोमावली मु
१४।११
२६७१३५० २३९/९६
२८५/४०
१८०।१०४८
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