Book Title: Sramana 2012 01
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ 6 : श्रमण, वर्ष 63, अंक 1 / जनवरी-मार्च 2012 योगदृष्टिबोधक तालिका (उत्तरोत्तर उत्कृष्टता ) योगदृष्टि योगांग गुणप्राप्ति दोषाभाव बोधसादृश्य गुणस्थानं मुख्यलक्षण अद्वेष, 1 मित्रा यम अद्वेष अखेदभाव 2 तारा नियम जिज्ञासा 3 बला आसन शुश्रूषा 4 दीप्रा प्राणायाम श्रवण 5 स्थिरा प्रत्याहार सूक्ष्मबोध 6 कान्ता धारणा मीमांसा 8 परा खेदत्याग तृणाग्निकण प्रथम (अखेद) उद्वेगाभाव कंडे का (अनुद्वेग) अग्निकण क्षेप = काष्ठ अग्नि प्रथम विघ्नाभाव उत्थान (चित्तअशान्ति) अभाव दीपकप्रभा प्रथम प्रथम भ्रमाभाव रत्नप्रभा 4,5,6 अन्य- ताराप्रभा मुदाभाव (स्वानुभवमोद) 7 प्रभा - ध्यान तत्त्वप्रतिपत्ति रुक्-त्याग सूर्यप्रभा (परिशुद्ध (राग-द्वेष परिपत्ति) व्याधित्याग) समाधि आत्मस्वभाव असंगाभाव चन्द्रप्रभा में प्रवृत्ति (पूर्णता) 7,8 धर्मकथा में रुचि 8-14 शास्त्रश्रवण, देवपूजादि में आनन्द आसक्तियुक्त सदाचरण 4,5,6, पदार्थ पर अलोलुपता, सम्यक्त्व ग्रन्थिभेद चित्त-स्थिरता प्रवाह - हीन अपूर्व शान्ति, विच्छिन्न प्रवाही ध्यान अविच्छिन्न प्रवाही ध्यान, मुक्ति लाभ

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98