Book Title: Sramana 2012 01
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 94
________________ जैन जगत् 1. 'जैन दार्शनिकों का भारतीय दर्शन को अवदान' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी शाजापुर (म.प्र.) में सम्पन्न प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म.प्र.) में डॉ. सागरमल जैन के निर्देशन में 30-31 दिसम्बर, 2011 एवं 1 जनवरी, 2012 को भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के आर्थिक सहयोग से 'जैन दार्शनिकों का भारतीय दर्शन को अवदान' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई। इस संगोष्ठी में देश के विभिन्न स्थानों से आये हुए विभिन्न विद्वानों एवं विदुषियों ने अपने शोधालेख प्रस्तुत किये जिनमें डॉ. फूलचन्द जैन 'प्रेमी', नई दिल्ली, डॉ. सुषमा संघवी, जयपुर, डॉ. धर्मचन्द जैन, जोधपुर आदि विद्वान् प्रमुख थे। इस अवसर पर डॉ. सागरमल जैन जी के अस्सी वर्ष पूरे होने पर अमृत-महोत्सव का आयोजन भी किया गया जिसमें सभी विद्वानों के साथ समाज ने उनका भव्य सम्मान किया। डॉ. सागरमल जी के परिवार ने भी समागत सभी लोगों का भव्य सम्मान किया। 2. साध्वी श्री प्रमुदिताश्री जी एवं कुमारी तृप्ति जैन को पी-एच. डी. की उपाधि प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर के निदेशक डॉ. सागरमल जैन के निर्देशन में जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडन (राज.) द्वारा साध्वी श्री प्रमुदिता श्री जी को उनके शोध-प्रबन्ध 'जैन दर्शन में संज्ञा (व्यवहार के प्रेरक तत्त्व) की अवधारणा' एवं कुमारी तृप्ति जैन को उनके शोध-प्रबन्ध 'जैन धर्म-दर्शन में तनाव प्रबन्धन' (Stress Management) विषय पर पी-एच. डी. की उपाधि प्रदान की गई। पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से मंगलकामना। 3. अर्हत्वचन पुरस्कार वर्ष 23 (2011) की घोषणा कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा मौलिक एवं शोधपूर्ण आलेखों के सृजन को प्रोत्साहन देने एवं शोधार्थियों के श्रम को सम्मानित करने के क्रम में वर्ष 2011 के अर्हत्वचन पुरस्कार की घोषणा की गई जिसमें प्रो. प्रभात कुमार जैन, गाजियाबाद (उ.प्र.) को प्रथम, प्रो. रज्जन कुमार, बरेली (उ.प्र.) को द्वितीय एवं डॉ. देवराज जैन, जमशेदपुर (झारखण्ड) को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से विजेताओं को बधाई।

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