________________
पार्श्वनाथ विद्यापीठ समाचार : 85 (ग) इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी के द्वारा आयोजित 'पाण्डुलिपि एवं पुरालिपिशास्त्र' विषयक 15 दिवसीय कार्यशाला में संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार सिंह ने दिनांक 24 मार्च 2012 को 'अवतरणों की प्रकृति- जैन व्याख्या साहित्य के विशेष सन्दर्भ में' तथा 'पाठभेद : एक विश्लेषण (समवायांगसूत्र के आलोक में)' विषय पर व्याख्यान दिया। 4. डॉ. राहुल कुमार सिंह। (क) पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा आयोजित '21वीं सदी में श्रमण संस्कृति की प्रासंगिकता' विषयक द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिनांक 25 फरवरी 2012 को संस्थान के रिसर्च एसोसिएट डॉ. राहुल कुमार सिंह ने 'जैनदर्शन का अप्रतिम सिद्धान्त अनेकान्तवाद एवं इसकी प्रासंगिकता' विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया। (ख) चाणक्य इन्स्टीच्यूट ऑफ पब्लिक लीडरशिप, मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई द्वारा दर्शन एवं धर्म विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में आयोजित KautiliyaArthashastra And Good Governance विषयक एकदिवसीय कार्यशाला में दिनांक 27 फरवरी 2012 को संस्थान के रिसर्च एसोसिएट डॉ. राहुल कुमार सिंह ने 'कौटिलीय अर्थशास्त्र में वर्णित नेतृत्व-गुण विचार एवं उनकी वर्तमान उपयोगिता' विषय पर व्याख्यान दिया। 5. डॉ. नवीन कुमार श्रीवास्तव (क) श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, वेरावल (गुजरात) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के 56वें अधिवेशन (5-7 फरवरी 2012) में संस्थान के रिसर्च एसोसिएट डॉ. नबीन कुमार श्रीवास्तव ने दिनांक 6 फरवरी 2012 को 'आगमों में प्रतिपादित षड्जीव-अहिंसा विषयक अवधारणा' विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया। (ख) पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा आयोजित '21वीं सदी में श्रमण संस्कृति की प्रासंगिकता' विषयक द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिनांक 25 फरवरी 2012 को संस्थान के रिसर्च एसोसिएट डॉ. नवीन कुमार श्रीवास्तव ने 'विश्वशान्ति में अहिंसा एवं अनेकान्त की अपरिहार्यता' विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया। 6. श्री ओम प्रकाश सिंह पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा आयोजित '21वीं सदी में श्रमण संस्कृति की प्रासंगिकता' विषयक द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिनांक 25 फरवरी