Book Title: Sramana 2012 01
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 91
________________ 84 : श्रमण, वर्ष 63, अंक 1 / जनवरी-मार्च 2012 शिविर का आयोजन किया गया। इस परीक्षण शिविर में सौ व्यक्तियों का नेत्र परीक्षण किया गया। यह शिविर वाराणसी के प्रतिष्ठित नेत्र चिकित्सक डॉ. सुनील शाह (शाह क्लिनिक, बुलानाला) की देखरेख में सम्पन्न हुआ। इसमें जैन समाज के गणमान्य व्यक्तियों का विशेषकर श्रीमती मोनिका सिंह का प्रयास सराहनीय रहा। विद्यापीठ-सदस्यों द्वारा विभिन्न संगोष्ठियों में पत्र-वाचन एवं व्याख्यान 1. प्रो. सुदर्शन लाल जैन इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी के द्वारा 'पाण्डुलिपि एवं पुरालिपिशास्त्र' विषयक 15 दिवसीय कार्यशाला में संस्थान के निदेशक प्रो. सुदर्शन लाल जैन ने दिनांक 16 मार्च 2012 को प्राकृत भाषा तथा अप्रकाशित जैन आगमों में उपलब्ध सूत्रों पर व्याख्यान दिया। 2. डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय आत्मध्यान के प्रवर्तक युगप्रधान श्रमणसंघीय आचार्य डॉ. शिवमुनि जी म.सा. की पावन निश्रा में पार्श्वनाथ विद्यापीठ, दिल्ली शाखा, रामा विहार में संस्था की कौस्तुभ जयन्ती के उपलक्ष्य में 'व्यवहार में श्रावक वीतरागता' विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिनांक 3 मार्च 2012 को संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय ने 'दस धर्म और वीतरागता' विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया। 3. डॉ. अशोक कुमार सिंह (क) पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा आयोजित '21वीं सदी में श्रमण संस्कृति की प्रासंगिकता' विषयक द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिनांक 25 फरवरी 2012 को संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार सिंह ने 'जैन परम्परा का अध्यात्म को अनुपम देन : भेदविज्ञान' विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया। (ख) आत्मध्यान के प्रवर्तक युगप्रधान श्रमणसंघीय आचार्य डॉ. शिवमुनि जी म. सा. की पावन निश्रा में पार्श्वनाथ विद्यापीठ, दिल्ली शाखा, रामा विहार में संस्था की कौस्तुभ जयन्ती (प्लेटिनम जुबली) के उपलक्ष्य में 'व्यवहार में श्रावक वीतरागता' विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिनांक 3 मार्च 2012 को आपने 'श्रावक वीतरागता एवं लोभ कषाय संवरण' विषय पर अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया।

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