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88 : श्रमण, वर्ष 63, अंक 1 / जनवरी-मार्च 2012 4. परमात्म भक्ति स्वरूप पंचाह्निका महामहोत्सव प. पू. आचार्य देव श्री राजयशसूरीश्वर जी म. सा. के पावन निश्रा में परमात्म भक्ति स्वरूप पंचाहिनका महामहोत्सव के मांगलिक कार्यक्रम दिनांक 25-4-2012 से 29-4-2012 तक चलेंगे। पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से मंगलकामना। 5. जैनों के सर्वमान्य ग्रन्थ प्रकाशन की आवश्यकता की अपील हिन्दुओं की गीता, ईसाईयों की बाइबिल, मुसलमानों का कुरान, बौद्धों का धम्मपद, सिक्खों का गुरुग्रन्थ साहब जिस प्रकार तत्-तत् धर्म के सर्वमान्य ग्रन्थ स्वीकार किये जाते हैं उसी प्रकार जैनधर्म का भी एक सर्वमान्य ग्रन्थ श्रमण मनीषियों ने संयुक्त रूप से विचार-विमर्श के बाद 'समणसुत्तं' तैयार किया जिसका प्रकाशन ई. 1974 में किया गया। आशा थी कि यह ग्रन्थ सभी सम्प्रदायों में लोकप्रिय होगा परन्तु व्यवहार में गीता, बाइबिल आदि की तरह इसने जन-लोकप्रियता नहीं प्राप्त की है। जैनियों का सर्वमान्य ग्रन्थ कौन होगा इस पर कई मनीषियों ने कई ग्रन्थ लिखे हैं परन्तु वे सब इस यक्ष प्रश्न का समाधान नहीं कर सके। इस दिशा में पुनः सभी को प्रयत्न करना चाहिए। श्री दुलीचन्द जैन साहित्यरत्न, चेन्नई ने इस दिशा में मनीषियों से जो अपील की है वह स्वागतयोग्य है।
6. प्रज्ञापुरुषोत्तम आचार्य श्री योगेन्द्र सागर जी महाराज का समाधिमरण प. पू. 108 वरिष्ठ पट्टाधीश आचार्य प्रज्ञापुरुषोत्तम श्री योगेन्द्र सागर जी महाराज की समाधि दिनांक 18 मार्च को प्रातः हो गई। आचार्य श्री गुजराती, मराठी, कन्नड़, संस्कृत एवं प्राकृत भाषा के विद्वान् थे। उन्होंने 150 ग्रन्थों की रचना के साथ ही 1200 श्लोक संस्कृत में तथा 3500 दोहों की रचना हिन्दी में की थी। आपने 850 भजन, 200 खण्डकाव्य, 500 से अधिक छन्द एवं 650 मुक्तक की रचना भी की थी। माँ जिनवाणी के इस दिव्य सुपुत्र को पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार की तरफ से कोटिशः प्रणति निवेदन करते हुए हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
7. डॉ. महेन्द्र कुमार जैन न्यायाचार्य का जन्म-शताब्दी समारोह सम्पन्न जैन न्यायशास्त्र के अद्वितीय विद्वान् न्यायाचार्य डॉ. महेन्द्र कुमार जैन का जन्म-शताब्दी समारोह दिनांक 24 मार्च 2012 को दमोह (म.प्र.) में उनके परिवार द्वारा मनाया गया। इसके प्रमुख वक्ता थे प्रो. भागचन्द्र जैन 'भागेन्दु'। डॉ.