Book Title: Shrutsagar Ank 2007 03 012
Author(s): Manoj Jain
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 15
________________ पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी भाचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक प्रारंभिक शिक्षा : रायबहादुर बुधसिंह प्राथमिक विद्यालय, अजीमगंज, (प. बं.) माध्यमिक शिक्षा : श्री विशुद्धानन्द सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कोलकाता. धार्मिक शिक्षा : यति श्रीमोतीचन्दजी के सान्निध्य में भाषाज्ञान : संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, बंगाली, गुजराती, राजस्थानी व अंग्रेजी. साधुजीवन का प्रारम्भः गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी महाराज से प्रभावित. पूज्य आचार्य श्री की निश्रा में श्रमण जीवन के आचार-विचारों का अभ्यास. दीक्षा ग्रहण :१३ नवम्बर १९५५, शनिवार, दीक्षा स्थल : साणंद दीक्षा प्रदाता : आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी महाराज दीक्षा गुरु : आचार्य श्री कल्याणसागरसूरीश्वरजी महाराज दीक्षा नाम : मुनि श्री पद्मसागरजी गणिपद से विभूषित २८ जनवरी, १९७४, सोमवार, जैननगर, अहमदाबाद. पंन्यासपद से विभूषित : ८ मार्च, १९७६, सोमवार, जामनगर. आचार्यपद से विभूषित : ९ दिसम्बर, १९७६, गुरुवार, महेसाणा. ओजस्वी प्रवचन जिनकी भाषा की सरलता, स्पष्ट वक्तृत्व, अभिप्राय की गंभीरता व प्रस्तुति की मौलिकता. जिनके ओजस्वी प्रवचनों से व्यक्ति और समाज में अभूतपूर्व परिवर्तन आए. यशस्वी कार्य : बाल-दीक्षा प्रतिबन्ध प्रस्ताव को निरस्त कराकर पुनः बाल-दीक्षा का प्रारम्भ कराया. शत्रुजय महातीर्थ के बाँध में होनेवाली मछलियों की जीव-हिंसा पर रोक लगवाई. मुम्बई महानगरपालिका के द्वारा विद्यालय के बच्चों को अल्पाहार में फूड-टॉनिक के रूप में अण्डा दिए जाने के निंदनीय प्रस्ताव को खारिज करवाया. राजस्थान सरकार द्वारा ट्रस्टों में अपना प्रतिनिधि नियुक्त करने के अध्यादेश को कुशल युक्तियों के द्वारा राज्यपाल को समझा कर वापस कराया. राणकपुर तीर्थ में फाईव स्टार होटल के निर्माण पर रोक लगवा कर तीर्थ की पवित्रता को अक्षुण्ण बनाए रखा. जिन्होंने आठों कर्मों का क्षय कर दिया है और अनन्त चतुष्टय से युक्त हैं उन आचार्यों को भावभरी वंदना, सौजन्य श्रीमती विमलाबेन प्रमोदभाई शाह परिवार, मुंबई 13

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