Book Title: Shrutsagar Ank 2007 03 012 Author(s): Manoj Jain Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra KobaPage 13
________________ पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी भाचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक અંજનશલાકા (પૂજ્યશ્રીના હાથે અંજન થયેલ જિનમૂર્તિઓનો સરવાળો હજારોની સંખ્યામાં थाय छे.) પપથી વધુ ઉપધાનતપ શિષ્ય-પ્રશિષ્યો ચાતુર્માસ વિહારક્ષેત્ર રાજસ્થાન, મધ્યપ્રદેશ, છત્તીસગઢ, બિહાર, બંગાળ, મહારાષ્ટ્ર અને ગુજરાત कैलाससागर सूरि, कैलास इव निश्चलम्, गणाधीश गुणाधीशं, सादरं प्रणिदध्महे. जो अनन्त हैं, जिनका पुनर्जन्म नहीं है, जो शरीर रहित हैं, जो बाधा रहित हैं और जो दर्शन और ज्ञानोपयोग से युक्त हैं उन आचायों को भावभरी वंदना. सौजन्य श्रीमती निर्मलाबेन दिनेशभाई शाह, मुंबईPage Navigation
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