Book Title: Shrenik Bimbsr
Author(s): Chandrashekhar Shastri
Publisher: Rigal Book Depo

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Page 7
________________ से सम्बद्ध अन्य नवीन पात्रों की भी कल्पना ऐतिहासिक उपन्यास में की जा सकती है। किन्तु ऐतिहासिक तथ्य को तोड़-मरोड़ कर उपस्थित करता ऐतिहासिक उपन्यास के क्षेत्र से बाहिर की बात है। इतिहास-रस क्या है ?-श्री चतुरसेन शास्त्री ने अपने पक्ष के समर्थन मे 'इतिहास-रस' शब्द का नया प्रयोग किया है । इसमें सदेह नहीं कि ऐतिहा. 'सक उपन्यास मे इतिहास-रस ही प्रधान होता है, किन्तु प्रश्न यह है कि वह इतिहास-रस है क्या ? क्या ऐतिहासिक पात्रो के नाम की पृष्ठभूमि में उनकी जीवन-घटनामो को कल्पना की उडान पर उडाना इतिहास-रस है ? निश्चय ही यह इतिहास-रस न होकर इतिहास का उपहास एव उसका दुरुपयोग है। इतिहास-रस इससे विलक्षण एक और ही रस है, जिसका नीचे वर्णन किया जाता है ___ आज के भारत की साहित्यिक आलोचना की मनोवृत्ति अत्यन्त सकीणं बन गई है । वह इस विषय मे पाश्चात्य ससार से भी कुछ सीखना नही चाहता। हमारे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थो मे शृङ्गार, हास्य, रौद्र आदि नवरसों का वर्णन मलने के कारण आलोचना के क्षेत्र को अत्यन्त सकीर्ण बना कर केवल कल्पनात्मक साहित्य-उपन्यास, कहानी तथा कविता को ही साहित्य मान कर उसी 'की आलोचना की जाती है। आज के भारत के पुननिर्माण कार्य में मुख्य रूप से भाग लेने वाले इतिहास, राजनीति, शोध तथा विज्ञान के विषयो को साहित्य से एकदम बहिष्कृत करके उनकी एकदम उपेक्षा की जाती है। हमारे आलोचक विद्वानो की इस प्रवृत्ति के कारण आज हिन्दी साहित्य के लेखन तथा प्रकाशन दोनो ही क्षेत्रो में एक भारी दलबन्दी बन गई है, जिसके द्वारा कविता, कहानी के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार के साहित्य का बहिष्कार किया जा रहा है, किन्तु यह प्रवृत्ति आत्मघाती है। इस प्रकार देश की प्रगति मे रोडे डाल कर अपनी स्वार्यसाधना द्वारा बाधा पहुँचाई जा रही है। वास्तव मे आजकल के आलोचको का अध्ययन अत्यन्त सीमित होता है। किन्तु लिखने का एक तो उन्हे व्यसन होता है, दूसरे, अपने शिक्षा विभाग के स्थान के कारण उनमे पाठ्य ग्रन्थो पर अपना प्रभाव डाल कर अपने एकागी अध्ययन के बल पर ही अपनी लेखनी से धन कमा लेने की क्षमता होती है। अतएव कम अध्ययन करने वालो के लिए पालोचन्द्र

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