Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ तेणेविगुत्तरेहिं बारससयवरिसएहिं चामुंडा। आराहिआ य तेणं चामुंडिअसनिओ जाओ . // 353 // अह अण्णया कयाई रुहिरं दळूण जिणहरे रुट्ठो। इत्थीणं पच्छित्तं देइ जिणपूअपडिसेहं। - // 354 // संघुत्तिभयपलाणो पट्टणओ उट्टवाहणारूढो। .. पत्तो जावालपुरं जणकहणे भणइ विज्जाए // 355 // लोएणं सो भणिओ नामेणं उट्टिउ त्ति बिअनामं / तनामसवणरुसिओ लोएहि मिसिमिसेमाणो . // 356 // जाओ तामसवयणो भणिओ लोएण खरयरा पयडी। तेणामरिसवसेणं खरयरसन्नत्तिपडिवण्णं // 357 // एवं चउत्तरेहिं बारससयवरिसएहिं 1204 नामदुगं / चामुंडिअनामजुअं नामतिगं तेण जिणदत्ता // 358 // जं पुण जिणेसरेणं खरयरबिरुअं निवाउ उवलद्धं / इच्चाइयमुल्लवणं लवणं धम्मंकुरस्स तयं // 359 // जण्णं दुल्लहराया दसचउवीसम्मि 1024 दुल्लहो चेव। जो पुण असीइ 1080 विगप्पो तं ससगस्सेव सवणपुडं // 360 // जं सो दसबावट्ठीवरिसे उववेसिऊण रज्जम्मि। दससत्तसत्तरीए कालगओ दुल्लहो राया // 361 // जं पि अनिवपरिसाए लिंगिविवाए जिणेसरेण सयं / जइऊण य उवलद्ध खरयरबिरुअं तए भणिअं // 362 // तं पि (चि)अ मिच्छावाओ वाओ जाओ न को वि लिंगीहि / पक्कअनिवउवरोहाणुण्णा य पभावयचरित्ते // 363 // खरयरनामं किरिआउग्गत्तणओ त्ति चित्ततुट्ठीए। परिकप्पिअंति तदवच्चकप्पिअं तस्स मूलं पिं // 364 // रिते 360
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