Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ जम्हा संपय तइओ परंपराआगमो जिणिंदुत्तो। सा दाणादाणेहिं ते वि अ सुअजोगवाहीणं // 856 // जोगा संजमकिरिआ संजमरहिआण नेव संभवइ। जेणमणुण्णादाणं इमस्स साहुस्स वयणेहिं // 857 // जं पुण कत्थ वि लिंगी जोगविहाणेण भणइ सुत्ताई। तं साहूणऽणुकरणं जह निण्हागस्स पडिकमणं // 858 // साहुजणस्साभावे न दव्वलिंगी न निण्हवो होइ / अणुहरणिज्जाभावे अणुहरणं कस्स को कुज्जा? // 859 / / केवलमिच्छादिट्ठी समवाउ जिणिंदबुद्धिसंजुत्तो / जिणपडिमाणं पूअणपमुहं न करेइ निअमेणं // 860 // सावयकुलं पि एवं विण्णेअं जं च बाहिराणं पि। . उस्सुत्तभासगाणं भणणं तं तित्थअणुकरणं . // 861 // जह बालिआ य मिलिआ करिति परिणयणकिच्चअणुकरणं / ढिगिल्लिआइविसयं एवं तित्थाउ बाहिरिआ . // 862 // जं पुण जहुत्तकिरिआ इच्चाइविगप्पवयणउब्भाओ। महपावो जिणसमए पवयणउवघायगत्तणओ // 863 // जेणं जहुत्तकिरिआपरायणा संति साहुणो निच्चं / सद्दहणं अहिगिच्चा किच्चं पुण सत्तिसंकलिअं // 864 // सत्ती वि अ दव्वाईसंकलिआ ते वि पंच परवसया। तेणं जिणकप्पाई वुच्छेओ जिणवरिंदुत्तो // 865 // एवं महव्वयाइं चउपंचविगप्पविसयभूआई। उज्जुजडा उज्जुपण्णा वंकजडा जं जिआ जाया // 866 // सव्वे वि मुत्तिपहिआ तिलोक्कमहिआ य हुंति मुणिपवरा / तेणं कडुओ बडुओ मोत्तव्वो पावमुत्ति व्व // 867 // 431
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