Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ जो भणई अम्हाणं केवलमुस्सग्गु होइ रुइविसओ। सो जिणसासणबज्झो तित्थयराईण पडिवक्खो // 924 // जत्थ य सारणवारणचोअणपडिचोअणाइववहारो। दसविहसामायारी तम्मि अ उस्सग्गअववाया // 925 // तयभावे जिणकप्पप्पमुहे पयमेगमेव जिणभणिअं। ते सव्वे जिणसमए जिणआणाराहगा भणिआ // 926 // तेणिव थेरा निदं विहिणा कुव्वंति पोरसिं मोत्तुं / तइआएँ पोरसीए जिणकप्पी एस उस्सग्गो // 927 // जह थेराण जिणाण य परिग्गहो नेव वत्थपत्ताई। तह निद्दा वि पमाओ नाणाए दो वि चरणट्ठा // 928 // अहवा जह असणाई संजमहेउमुणिदेहरक्खट्ठा / भणिअं तहेव निद्दा अण्णह दोण्हं पि नो आणा // 929 // जह आणाए रहिओ भुंजतो असणपाणमाईणि। भणिओ मुणी पमाई तह निद्द पगामपडिसेवी // 930 // अववाए पुण थेरा दिवा वि कुव्वंति तित्थगरआणा / सा चेव य सुगुरूणं आणा खलु णाणमाईणि // 931 // निद्दा विअ थीणद्धी तिगं कसाया य सव्वघायकरा। इंदिअअत्था रागद्दोसविसया पमाउ त्ति / // 932 // मिच्छादिट्ठीणं पुण सव्वे वि अ सव्वहा पमाउ त्ति / सद्दिट्ठीणमणाणा जिणस्स एसो अ परमत्थो // 933 // तेणं दव्वपवित्ती अपवित्ती वा पमाणमपमाणं.। आरंभाईसु दिट्ठा दिट्ठिपहाणेहिं जिणसमए . // 934 // अप्पच्चक्खाणकिरिआ वयभावे वि अ न देसविरईणं / नारंभकिरिआरंभे पवट्टमाणाण सुमुणीणं // 935 // 437
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