Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 447
________________ जं पूआइऽवसाणे आरंभालोअणं पुढो भणिअं। . कूवाहरणासंगइमुब्भाविअ भंतचित्तेणं - // 936 // तं ता हविज्ज सम्म खाए कूवम्मि अवरकूवजलं / 'तिण्हाइनासहेऊ वुत्तं जइ हुज्ज जिणसमए // 937 // तन्नो कत्थ वि भणि भणि पुण खणिअकूवसलिलेणं / सुहभागी सव्वजणो अप्पा अण्णो वि बहुजीवी // 938 // इरिआवहिआठाणं सावयकिरिआ वि साहुसमकिरिआ। तत्तो भिन्नसरूवो इरिआठाणं न दव्वथओ . // 939 // भीइ किरिआइ हेउ त्ति जाणिउं जेण इरिअ पडिक्कता / तणं तीइ पच्छा पडिक्कमिअव्वा य जहठाणे // 940 // सच्चित्तफासमित्तं न करिस्सं जाव मे इमा किरिआ। इअ हि पइण्णावाए पुणो वि तस्संधणट्ठाए' // 941 // जह तंतूहि कुविंदो कुणमाणो साडिअं पुणो तंतू। तुट्टिजंते निउणं संधिज्जा जा पइण्णा से // 942 // नेवं सुवण्णयारो कुणमाो काउकाम वा मुई। - संधेज्ज तंतुमेगं पि कारणाभावओ तीए // 943 // किंचऽच्चंते इरिआ जइ ता साहम्मिआण वच्छल्ले। साहुअहिगमणपमुहे गिहागओ किं न पडिकमइ? // 944 // एएण कम्ममेगं बंधिज्जा सो अ आसवो होइ / तत्थ न जिणिदआणा आणा पुण संवरे णेआ // 945 // तं पि विडंबणवयणं खित्तं जं संवरो हु संमत्तं / तदुवगरणवावारो दव्वथओ साहुपूआई. // 946 // तं नियमा जिणआणा अण्णह आणा न केवलीकिच्चं। एवं सिद्धंतो वि अ सिद्धो आणाइ बाहिरिओ // 947 // 438

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