Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 442
________________ एवं कुवक्खकोसिअसहस्सकिरणम्मि उदयमावण्णे / चक्खुप्पहावरहिओ कडुओ भणिओ य अट्ठमओ // 880 // // 881 // // 882 // // 883 // // 884 // विश्राम -10 अह बीजामयकुमयं वुच्छं संखेवओ जहा जायं / विक्कमकाला सत्तरिअहिए पन्नरससयवरिसे लुंपकमयवेसहरोभूनउ नामेण आसि तस्सीसो / बीजक्खो मुक्खयरो तेण वि अंगीकया पडिमा सो वि गओ मेवाते मेवाडे जत्थ साहुअविहारो। लोयाणमसुहकम्मोदएण कटुं तवं कुणइ. आयावणभूमीए आयावणपरायणं जणो दटुं।। तस्स समीवे भण्णइ मग्गिज्जा जं वयं देमो / सो उवएसासत्तो भणेइ मुक्खो वि पुण्णिमापक्खं / पंचमिपज्जोसवणं कुणंतु अम्हाण निस्साए लोओ वि य परमत्थं अमुणंतो भणइ होउ एवं पि / कालऽणुभावा वुटुं अवस्सभषियव्वयाजोगा वेसो लुंपकसरिसो नवरं दंडेण होइ संजुत्तो! .. उवएसो पुण आगममयसरिसो होइ पाएणं सुयखित्तदेवयाईथुइदाणनिसेहगो जओ एसो / तम्हाऽऽगममयविस्सामुत्तं सव्वं पि इह नेयं पुण्णिमपक्खप्पमुहं पुण्णमिअपल्लविअणामविस्सामे / वित्थरओ जह ठाणा भणियं तं इह वि विनेयं 433 / / 885 // // 886 // // 887 // // 888 // // 889 //

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