Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 441
________________ एएणमुत्तरपहे मुणिणो संति त्तिवयणमवि खित्तं / जह अडवीथलवडिओ कडक्करो बंभणाइट्ठो / // 868 // उत्तरपहमणुआणं न हुँति जइ कालमाइणो दोसा। ता इत्तो लट्ठयरे मण्णामो साहुसन्नाए - // 869 // जइ तुल्ला सामग्गी कज्जं पि अतुल्लमेव जगमग्गो। नवि हत्थकारणेहिं तंतूहि तिहत्थमाणपडो / / 870 // एवं पिअ जइ उत्तरपहम्मि विहरति उग्गचारित्ता / ता सिद्धंतो अण्णो इमो उ जंजालसास्त्थिो // 871 // जं देवडिप्पमुहा इमम्मि भणिआ य उग्गचारित्ता। ते खलु गुज्जरपमुहे संजाया सम्मया समए // 872 // सिद्धंतभासचुण्णिप्पमुहाणं कारंगा वि इह जाया। ता दूसमसंघथए वीसासो कह णु कडुअस्स? // 873 // उत्तरपहमुणिनिस्सं अवलंबिअ धम्मकिच्चमिह कुणिमो। तं पिअ मिअतिण्हाभं विदेहयाणं पि किं नेव? // 874 // संपुण्णसेसवेसो मत्थयमुग्घाडिऊण जिणभवणे / पविसइ विरूवरूवो जिणवरआसायणाणन्नो / / 875 // तित्थंकरेण सद्धि माणो कह जुत्तिजुत्तओ जुत्ति ? / जंपेइ न य मुणेई मुणीहि वि समं समं दोसं // 876 // गुरुआसायणमूलं उप्पत्ती अस्स लुंपगस्सेव / जिणपडिमाणं लोए आबालं जाव जगपडहो गुरुपरतंतविरहिओ धम्मुवएसं मुणिव्व गिहिलिंगी। कुव्वंतो धम्मस्स वि आसाई तेण तिण्हं पि // 878 // गिहिजिणबिंबपइट्ठापुण्णिमपक्खिप्पमुहमिहमखिलं / पुण्णिममयसारित्थं पुण्णिमविस्सामओ णेअं // 879 // // 877 // 462

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