Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 834 // // 835 // // 836 // तम्मुहचवेडदाणे देवा वि निरुज्जमा दुफासभया। जह नीअफासभीओ अ बंभणो भोअणुज्जुत्तो तस्स व न कोइ मित्तं देवाई जं न देइ अवहत्थं / हालाहलं पिअंतं वारिज्जइ सो परममित्तं मित्तं पि तुहं अम्हारिसो हु सो दूसमाणुभावेण / सत्तिरहिओ अ सिक्खादाणे दुण्हं पि कम्मुदया एवं कुवक्खकोसिअसहस्सकिरणम्मि उदयमावण्णे चक्खुप्पहावरहिओ लुंपागो सत्तमो भणिओ नवहत्थकायरायकिअसममहिमम्मि चित्तसिअपक्खे। गुरुदेवयपुण्णुदए सिरिहीरविजयसुगुरुवारे इअ सासणउदयगिरिं जिणभासिअधम्मसायराणुगयं / पाविअ पभासयंतो सहस्सकिरणो जयउ एसो // 837 // // 838 // // 839 // // 840 // विश्राम - 9 अह कडुअगिहत्थाओ जायं कुमयं पि कडुअनामेण / विक्कमओ चउसट्ठी अहिए पत्ररससय 1564 वरिसे तस्स सरूवं किंची वुच्छं उवएसविसयमावण्णं / तित्थद्धभासरूवं केवलपूआसु पडिबद्धं अव्वत्तनिण्हगाभिनिवेसविसअंधयस्स पावस्स। उवएसो महपावो पवयणउवघायगो नियमा अहं गुज्जरपमुहे मुणिणो वच्चंति नेव चक्खुपहं / जम्हा जहुत्तकिरिआपरायणा नेव दीसंति 429 // 841 // // 842 // // 843 //
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