Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 752 // . लोए वि गिहपवेसे सुइजलफासो न हट्टपविसे वि।। लोउत्तरि सामइए इरिआ न तहेव मुणिदाणे // 750 // अहवा जह अंते वि अ भोअणकिरिआ वि विविहवत्थुगया। जलसुइरहिआऽरहिआ लोअव्ववहारसंवडिआ // 751 // एवं जिणिदधम्मो आणाविसओ वि भिन्नविहिविसओ। तेणं नइउत्तारे इरिआ न जिणिंदपूआए . जइ आणानिरविक्खा इरिआ नइपाणवाहसोहिगरी / ता मुणिदाणे तीए सड्डो सुद्धो असुद्धो वि' // 753 // एवं नइउत्तारे संखानिअमो वि साहुकप्पठिई / अण्णह कप्पविगप्पे छजिअवहो केण अवहरिओ? // 754 // अहवा देसिअराइअपक्खिअचउमासवासपडिकमणं / संखानिअयं पावं पावमए पुण्णमवि पुण्णं // 755 // उस्सग्गेण निसेहो अववाएणेव कप्पणिज्जं च। दोसु वि आणा तुल्ला वयजुग्गं अण्णहा न हवे. // 756 // एएणं पडिसेहो अहम्मभावेण धम्मभावेण। विहिवयणं ति विगप्पा वयणं अण्णाणविण्णाणं // 757 // जिणकप्पे पडिसिद्धं वेआवडिअंपि संघपमुहाणं / दसपुब्विअपमुहाणं जिणकप्पो चेव पडिसिद्धो // 758 // सव्वे गोअरकाला विगिट्ठभोइस्स हुंति विहिवयणे / जिणकप्पम्मि अहम्मो तेणमणेगंत जिणवयणं // 759 // एवं पायच्छित्तं भणिअंकज्जम्मि जम्मि तं चेव / नो कप्पइ तं वयणं भासंतोऽणंतसंसारी // 750 // जम्हा पायच्छित्तं अववायपयम्मि होइ पाएणं। अववाएण पवित्ती पायं तित्थप्पवाहम्मि 400 // 761 //
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