Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 432
________________ // 762 // // 763 // // 764 // // 765 // // 766 // // 767 // उवगरणाइनिमित्तं नइउत्तारे वि दोसरहियत्तं / जिणवयणाओऽभिमयं ता किं न जिणिदपडिमाए? नणु उवगरणाभावे चारित्ताराहणं न संभवइ / ता णाणदंसणाणं उवगरणेहवि किमवरद्धं ? णाणुवगरणं पुत्थं जिणपडिमा दंसणोवगरणमिहं / रयहरणपुत्ति चरणे मूलुवगरणाइमेआई निअनिअकज्जनिजुत्तं उवगरणं तं पि होइ अहिगरणं / विवरीअकिरिअविसयं विसं व सव्वं पि एमेव एएणं जिणपडिमा सिद्धते नत्थि तं पि दुव्वयणं / पडिखित्तं विण्णेअं जुगवं दुण्हं पि उप्पत्ती जिणपडिमासमओ वि अतित्थे जायम्मि दो वि जायाइं / तित्थेणंगिकयाइं तेणेव हु पूअणिज्जाई तित्थयरभासिअत्था निम्मविआ सावएहिं जिणपडिमा / अंगाइअसुत्ताणं रयणा तह गणहरेहि कया . अण्णुण्णं पडिबंधो सवणपइट्ठायणेगंकज्जेसु / एवं तित्थपवित्ती अच्छिना जाव दुप्पसहो असुहो अहो विभागो सुहो अ उवरिल्लओ सनाभीओ। अण्णुण्णं साविक्खा निरविक्खा दो वि नस्संति जइवुत्तमो अ पुरिसो पुण्णुदया पावउदयओ इत्थी। अण्णुण्णं साविक्खा पुत्तुप्पत्तीइ तह तित्थं अंगुटुंविरहिआओ विहवावत्थ व्व अंगुलीथीओ। अंगुट्ठो वि अ कवले असमत्थो अंगुलीविगलो एवं खु भावपूआ साविक्खा होइ दव्वपूआए। अण्णह मुर्णिददाणे तह मइए तित्थवुच्छेओ // 768 // // 769 // // 770 // // 771 // // 772 // // 773 // 423

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