Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 774 // सिद्धता जिणपडिमा बलिआ पडिमाउ तित्थमवि बलिअं। विवरीअं पि कहंची तेणमणेगंत जिणवयणं सव्वं खलु साविक्खं साऽविक्खा पडिपयत्थमवि भिण्णा।। भिण्णत्तंऽपेगस्स वि अवरावरवत्थुसंकप्पा // 775 // निवपुत्तो वि अ मित्तं कस्स वि णो तेण रज्जवइ हुज्जा / गुज्झपवित्तिप्पमुहं मित्तत्ताओ न निवपुत्ता . // 776 // . पुरिसस्स उत्तमंग सेसावयवेहि संगयं फलवं / अण्णुण्णं साविक्खा किरिआसु न किंचि निरविक्खा // 777 // एवं तित्थनरस्स वि मुणिवग्गो उत्तमंगमवसेला। सेसावयवाण्णुण्णं साविक्खा धम्मकिरिआसु // 778 // एवं आगमपुरिसे जिणभणिअत्थो अ मत्थयं सेसं। अंगउवंगप्पगरणपमुहं सव्वं पि साविक्खं // 779 // . एवं अरिहनरस्स वि भावजिणो उत्तमंगमवसेसं / ठवणप्पमुह जिणिदा निअनिअकिरिआसु साविक्खा // 780 // एवं घयघयभायणपमुहाहरणाई लोअसिद्धाई। . मुणिउं निउणमईए णेअं सव्वं पि साविक्खं . // 781 // तत्थ वि दुक्खं मुक्खे पवरमिणं नेति वा विगप्पेणं / चइऊणमप्पहाणं इच्छइ कुसलं पि इअरस्स // 782 // दव्वत्थयभावत्थय चक्कदुगं तित्थधम्मपवररहे। दव्वथओ खलु सावयधम्मो भावो अ मुणिधम्मो // 783 // दव्वथओ उक्कोसो जहसत्तिं जिणहराइनिम्मवणं / भावथओ उक्कोसो चारितं चेव अहखायं // 784 // तत्थेगयरच्चाओ सीकारो वावि केण णाणेणं ? / ' तत्थ वि सिद्धताओ बलवंतीए वि पडिमाए ' // 785 // 424
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