Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 738 // // 739 // // 740 // // 741 // // 742 // // 743 // तेणं उज्जिंताइसु जत्ताकरणेण संघवइबिरु। जत्ता भत्तपइण्णप्पमुहेसु वि पुण्णसड्डाणं से बेमि जे अतीआ इच्चाइअपढमअंगवयणेणं / गुरुपारतंतवयणं वत्तव्वं न उण समईए गुरुपरतंता अत्थो वित्तीए अण्णउत्थिआविक्खो। नारंभंऽवऽहिगिच्चा जिणपवयणधम्मकज्जेसु तं नत्थि किंचि कज्जं हविज्ज जं सव्वहा वयाभावे / आयं वयं तुलिज्जा लाहभिलासि त्ति ववहारो पडिसेहिअ जीववहं जे अणुजाणंति तं पि पच्चक्खं / ते अण्णउत्थिआ खलु सतित्थिआनण्णगइ कज्जं जह एगं चिअ पायं जलम्मि इच्चाइवयणरयणाए। ' नइउत्तारो भणिओ न य जलजीवे वि हिसिज्जा एवं जिणिदपडिमापूआपमुहं पि धम्मिअं किच्चं। कायव्वं कुसलेहि भणइ जिणो न उण हिंसं पि / नणु नइउत्तारो खलु संखानिअओ अ इरिअसंजुत्तो / पूआ तव्विवरीआ अह आणातुल्लया तत्थ ? नइउत्तारे इरिआ जं तं साहूण साहुकप्पठिई। अन्नह इरिआजुग्गं तं पावं कह णु संभवई ? .. जं इक्कं छजिअवहो बीअं वयखंडणाइ महपाव। तं जइ इरिआजुग्गं इरिआगंधो वि कह गिहिणो? इरिआ वि इरिअनिअए कज्जे सच्चित्तमाइसंघटे। कयवयभंगभयाओ पुणो वि इरिअं पडिक्कमई तेणं कडसामइओ मुणि व्व सङ्को ति नेव दव्वथयं / कुणइ त्तिअ जिणआणा न उणं इअरो वि धम्मरओ .. 421 // 744 // // 745 // // 746 / / // 747 // // 748 // // 749 //
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