Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 429
________________ // 726 // // 727 // // 728 // // 729 // // 730 // // 731 // सेसा किरिआविसया आयारविही उ हुंति सूरिक्रमा। एवं जगववहारो दीसइ न उ लिहिअमित्तेणं भोअणविवाहमंडणगमणागमणाइसद्दमित्तेणं / जइ तब्विहाणणाणं सम्मं ता पुत्थया धम्मो तम्हा जे उम्मग्गा लोए दीसंति तेसि.पावयरो। मयमूलंकियमग्गो कडुअंकिअकडुअमग्गु व्व तस्सुवएसो जिणवरपडिमापूआसु जीववहणाई। जीवावि छव्विहा जिणपडिमापूआइ महपावं सव्वे पाणा भूआ जीवा सत्ता य णेव हंतव्वा / इअ सिद्धते भणिअं तेणं तइंसणं पावं एवं निट्ठरवयणं भासंतस्सावि तक्खणा चेव / कालणुभावा जिब्भासडणं पि न होइ सयमेव जिणपूआ जीववहा पावंति अ नेव कत्थई सुणि। जइ एवं ता णूणं जिणपडिमा केण निम्मविआ? . णो अण्णउत्थिएहिं न य इंदिअअट्ठिएहि निम्मविआ। न य जिणधम्मट्ठीहिं निक्कारणकज्जसंपत्ती एवं हरिहरपडिमाभत्तो सिवधम्मिओ य जिणधम्मी। अहवा उभयपभट्ठो पुच्छेअव्वो अ पडिमरिऊ . अह बहुवित्तवएणं कज्जं धम्मस्स धम्मबुद्धीए / कुज्जा निअनिअमग्गे मंदमई किंव तिव्वमई ? पढमविगप्पो तुच्छो पच्चक्खं जेण मिच्छपमुहेहि / जिणपासायप्पमुहं णो दीसइ कारिअं किंची बीए निअमा तित्थं जिणपडिमानिस्सिअं न इअरं पि। जो जम्मि जम्मि मग्गे तिव्वमई तम्मि सो पुज्जो 420 // 732 // // 733 // // 734 // // 735 // // 736 // किचा // 737 //

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