Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________ // 702 // // 703 // // 704 / / // 705 // // 706 // // 707 // एवमणाइपवाहप्पडिओ जिणभासिओ हु सुअधम्मो। जो सउवएसविसओ नन्नी त्ति अ सासई मेरा एवं जो पुत्थाओ लहिउं धम्मं पि देइ उवएसं। सो मच्छिआसरूवो हंसीजणओ सयंजाओ नणु जिणपडिमापुत्थयमजीवरूवाइं दो वि जायाई। पुत्थाओ जिणधम्मो लद्धो कि ते न पडिमाओ? तत्थ वि किंचिनिमित्तं भणिअव्वं भणइ लुंपगो एवं / वाइअपुत्था अत्थो लब्भइ न जिणिदपडिमाओ वायणकला सहोत्था पुरिसायत्ता य किंच तुब्भ मए ? / एवं सिद्धंतत्थे पुच्छेअव्वं पि तित्थं णं दोण्हं पि दो विगप्पा पढमा किं ते मयस्स अइसयओ। अहवा वि जगसहावो जं उभयं होइ सहसिद्धं एसो खलऽइसओ ते मयम्मि जुत्तो अ जेण साहु त्ति / वुच्चइ चिइसद्देणं मुद्दा तित्थाउ बज्झस्स जइ जगठिई वि एसा जुत्ता एआरिसं जया कुमयं / उप्पज्जइ एआरिसवायणपमुहेहिं संजुत्तं अह जइ दोण्हं पंता दो वि विगप्पा पुरिसपरतंता / ता अच्छिने तित्थे आयरिअपरंपरा सिद्धा एअं तुब्भ अणिटुं दिटुं तुह वयणओ वि विण्णायं / तम्हा तुह पहलाहो पुत्थाओ अलिअवयणमिणं कत्थ वि पुत्थे लिहिअंदीसइ पुत्थाउ लब्भई धम्मो। अम्हे वि सद्दहामो कहंचि सच्चंपितं वयणं नेवं कत्थ वि लिहिअं लिहिअं पडिमाउ लब्भई धम्मो / जह वुड्डकप्पभासे सिद्धते भासिअं एवं // 708 // // 709 // // 710 // // 711 // // 712 // // 713 // 418
Page Navigation
1 ... 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458