Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ जह सवणं मोक्खंगं भणिअंतह णेव कत्थई पुत्थं / जं तं पुरिसायत्तं पुरिसो वि परंपरायत्तो // 591 // किं गुरुनिरविक्खो विअ वत्थुअसत्थाओ निम्मविज्जा वि / जिणपासायप्पमुहं ता कह तित्थं पि पुत्थयओ? // 592 / / तम्हा तित्थे संते धम्मो तित्थम्मि.न उणमण्णत्थ। तित्थं पुण चाउत्थिअमिह सिद्धं कालगज्जाओ // 593 // तव्वसओ चउमासं पक्खिअदिवसम्मि सम्मयं तित्थे। एवं कालविसेसे पडिकमणं पंचहा निअयं // 594 // देसिअराइअपक्खिअ चउमासिअ वच्छरं ति पंचविहं / पडिकमणं पुण पावा निअत्तणं नामनिप्फत्ती // 595 // आइदुगे अणुकरणं कुवक्खिआणं पि होइ तित्थेण। अंतिमतिगं तु तित्था बाहिरभावस्स मह चिण्हं // 596 // जेहंचलिओ तित्थे पायं खमणु व्व तित्थबाहिरिओ। पयडो तेसुवि चिण्हेसु तिण्णि पुत्तिप्पमुहयाइं ... // 597 // तेसु भणिएसु भणिअं पायं सयलं पि सेसचिण्हगयं / तत्थ वि पोत्तिअचाओ निअअणुगयसावयाईणं // 598 // तेण मुहवत्तिठावणपगरणमिह वद्धमाणआयरिओ। पुण्णिमपक्खठिओ विअ कासी अण्णेसि का वत्ता? // 599 // सच्छंदमइविगप्पिअमयमूलुच्छेदगं जिणिंदुत्तं / इक्कं पि जुत्तिजुत्तं नाहिमयं किं बहूहि पि? इक्कम्मि पईवम्मि अ दीवंते नेव पासई किंची। .. लोअणसत्तिविमुत्तो पईवकोडीहिं किं तस्स ? // 601 // एवमणुओगवयणं पुत्तिरयहरणपयासयं पयर्ड। इक्कं पि दीवकप्पं उम्मीलिअनयणसंणीणं // 602 // // 600 // 408
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