Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 416
________________ // 579 // // 580 // // 581 // // 582 // // 583 // // 584 // जण्णं चुण्णीवयणं पमाणयंतं पि सयवईकारं / संपइ पमाणयंता पल्लविआ पंचमीवयणा . तित्था चुअस्स आगमसरणं साहाउ पत्तसरणु व्व। जं सुत्तत्थुभयं पिय तित्थायत्तं जिणिदुत्तं इह आगमों अतिविहो अत्ताणंतरपरंपरापुव्वो। दो गणहरसीसंता तइओ तित्थप्पवित्तंतो संपइ तइओ आगम तित्थहुमसूरिसाहकुसुमसमो। फलसरिसो सुहजोगो मोक्खो महुरो रसासाओ तित्थं तु कालगज्जा अच्छिन्नं जाव दुप्पसहसूरी / पज्जोसवणचउत्थीठिअंति का तत्थ संका वि? / संपइ तित्थमजुत्तं कुणइ अजुत्तं पि जो उ तद्रूसी। इअ आगमपरमत्थो मत्थयसूलं खु किंमूलो? आगमविरुद्धचारी आगमवंतं पि तित्थमवि हुज्जा / ता को अण्णो आगमचारीति अ भण्णई लोए ?. तत्थ पडिवक्खभूओ तित्थयराइणमहिअपडिवक्खो। सो वि जइ हुज्ज दक्खो मुक्खो दुब्भिक्खमुहवडिओ तित्थपडिकूलवयणं न तावमित्तेण पावहेउ त्ति / किंतु अरहंतपमुहा मुसं वयत्तत्थवत्तीए / तत्तो वि अ पइसमयं तित्थुच्छेअं पइच्छई पावो। तंदुलमच्छुविच्छा पइसमयं णंतभवजणिआ / तेणेवाभिनिवेसी अणंतगुणसंकिलिट्ठपरिणामो / लोइअमिच्छत्ता ओ अफासणिज्जो अ सव्वेसिं जो पुण पुत्थं तित्थं अहवा पुत्थेण तित्थमुद्धरिअं। इच्चाई वुच्चंतो पावेसुऽवऽणारिओ णेओ 407 // 585 // // 586 // // 587 // // 588 // // 589 // // 590 //

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