Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 557 // नवहत्थकायरायकिअसममहिमम्मि चित्तसिअपक्खे / गुरुदेवयपुण्णुदए सिरिहीरविजयसुगुरुवारे इअ सासणउदयगिरि जिणभासिअधम्मसायराणुगयं / पाविअ पभासयंतो सहस्सकिरणो जयउ एसो // 558 // विश्राम-५ // 559 // // 560 // // 561 // // 562 // अह अंचलिअं कुमयं लोअपसिद्धं पि किंचि दंसेमि / तेरुत्तरबारसए विक्कमओ अहमकम्मुदया पुण्णिमिओ नरसिंहो नामेणं एगनयणदुव्वयणो / केण वि अवराहेणं तेहि वि बाहिकओ आसी . सो पुण कमेण छउणयगामे पत्तो अ तत्थ तम्मइया / लोअणरहिआ नाढीति सड्ढी वि महिड्ढिआ वुड्ढा तीए वंदणदाणावसरे मुहपत्तिआ वि णो पत्ता। देहंचलेण वंदणमिअ भणिअं तेण पावेण सा पुण पुव्वं पुण्णिमगुरूण केणावि दूमिआ आसी। नरसिंहस्स वि भइणी दोहि वि पयडीकयं कुमयं तीए सूरिपयं पिअ दवाविअं अट्ठसहसदविणेणं / वस्सऽज्जरक्खिएणं नामेणं चिइनिवासीहिं निअमयवुड्ढिनिमित्तं पावयगिरिकालिआभिहा देवी / माराहिआ य मिच्छादिट्ठी इगवीसुवासेहिं पच्चक्खा चक्केसरि अम्हं ति मुसं वइंसु सो पावो / पावजणाणं पुरओ वुग्गहवयणं पयासंतो // 563 // // 564 // // 565 // // 566 // 405
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