Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________ इअ चे धुवंकरूवा पढमा इरिया विगप्पिअ त्ति तुहं / इरिआजुगं पि जुग्गं धुवंकचाए पमाणं किं ? // 545 // तम्हा पढमा पेढिअकप्पा कप्पद्रुमोवमा इरिआ। सा पुण पच्छाइरिआ गमणनिवित्तीअ पडिकमणं // 546 // जइ वि सुपासे तिफणा नव पासे ऊणमहिअमवि कमसो। तह वि सुपासा पासे ठवणं अजहापर्य पि भवे // 547 // एवं अजहट्ठाणं उस्सुत्तं दंसि समासेण। एअं सुत्ते किरिआविसयं तिविहं पि निद्दिटुं // 548 // अह पुण उवएसविसयमुस्सुत्तं बीअमेव दुविगप्पं / उम्मग्गदेसणा मग्गनासणा तं पि दंसेमि // 549 // अहिअं उवएसंतो पढमे भंगे अ ऊणमवि बीए। किरिआओऽणंतगुणं पावयरं वयणविसयं ते // 550 // अथवा थीणं जिणवरपूआपडिसेहगं अतित्थं पि। तित्थं तिअ भासंतो उम्मग्गपरूवगो पावो // 551 // तित्थं पुण अच्छिनं थीजिणपूआपरूवगं भरहे। तं पि न तित्थं ति वयं भासंतो मग्गनासयरो . // 552 // लोइअमिच्छत्ताओऽणंतगुणं मग्गनासणाइवयं / पावं तित्थच्चाए तुल्ले वि अ तावया अहिअं . // 553 // जम्हा उ संकिलिट्ठोऽभिनिवेसी होइ तित्थपडिकूले। लोओ उ भणइ तित्थं तित्थं खलु तित्थअणुकूलो / // 554 // तेणं तब्भवसिद्धी लब्भइ परतित्थिएसु न वियऽवत्ते / इअ मुणिअ हुंतु भव्वा भद्दपया तित्थभत्तिवया // 555 // एवं कुवक्खकोसिअसहस्सकिरणम्मि उदयमावण्णे। चक्खुप्पहावरहिओ कहिओ तइओ खरयो वि // 556 // 404
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/ceff88edab769bfce0f8b9c3f7b6e7683a80f8c0a3b45407efd2eff5af0ce065.jpg)
Page Navigation
1 ... 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458