Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 412
________________ वुड्ढीए पुण पढमा पुण्णा हाणीइ मूलओ गलिआ / इअ वयणं दुव्वयणं सोअव्वं नेव निउणेहिं . // 533 // जम्हा तीएऽवयवो पहाणुदयसंजुओ अ बीअदिणे / हीणा पुण पुव्वदिणे पुण्णा पण्णेहिं दिट्ठ त्ति // 534 // अट्ठमिपडणे सत्तमि चउदसिपडणे.अ पुण्णिमापमुहा / इअ अद्धजरइकुक्कुरि कीडइ जिणदत्तनिलयम्मि // 535 // आमूला सहगारो मंजरिपज्जंतओ महंतो वि। न पहाणो कितंते फलं पहाणं मणुअजुग्गं // 536 // फलसरिसो सो उदओ जम्मि समप्पइ तिही अ मासो अ। मंजरिपज्जंतसमो सेसो फलसाहगो समए // 537 // जम्हा लब्भा अहिअं न देइ दित्तो वि दायगो को वि। तत्थ वि पुराणरीई लोअव्ववहारओ णेया // 538 // पुव्वं रविउदयजुआ एगा घडिआ वि लब्भलाहगरी / अण्णा वि ताववेक्खाजुत्ता किं पिहिअ पेडाए ? // 539 // लब्भाहियलाहकंखी अदत्तमवि मुद्दिशं पि मंजूसं / गिण्हंतो सो तेणुव्व निग्गहं दारुणं लहइ // 540 // तम्हा तिहि व्व मासो पुव्वो पुव्वुत्तजुत्तिविसंओ त्ति / सुणिऊण बीअमासो णेओ णिअणामकज्जकरो // 541 // इरिआए पडिक्कमणं पच्छा सामाइअम्मि अजहंपयं / भासंतो उम्मत्तो न मुणइ समयाइपरमत्थं // 542 // चित्तविसोहिनिमित्तं भणिआ इरिआ महानिसीहम्मि। न य कत्थ वि सामइअं असुद्धचित्तेण कायव्वं // 543 // आहावस्सयचुण्णिप्पमुहेसु करेमि भंत इच्चाइ / काऊण य सामइअं पच्छा इरिअ त्ति पयडवयं // 544 // 403

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