Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 411
________________ एवं करणाणुण्णा तत्थ वि जो भणइ मासवुच्छेअं। सो खित्तमुच्छकद्दममंडूओ पंडिअंमण्णो // 521 // गिहिणो पाणागारा पंचासयमाइवुत्तअविलुत्ता / इच्चाइ अणेगविहं उस्सुत्तं तम्मए ऊणं // 522 // अह जहअजहट्ठाणं उभयसहावं हविज्ज तह वुच्छं। अभिवड्ढिअम्मि सावृणि पज्जोसवणा वि ओसवणा // 523 // जण्णं सवीसराए मासे सेसेहि सत्तरीए अ। पज्जोसवणा सवणामिअम्मि मासम्मि भद्दवए // 524 // जह चाउमासिआई कत्तिअमासाइमासमिअयाई। ... तह भद्दवए मासे पज्जोसवणा वि जिणसमए // 525 // मासाइअम्मि वुड्ढे पढमोऽवयवो पमाणमिअ वयणे। जंपंतो जिणदत्तो अजहट्ठाणेण उस्सुत्ती - || 526 // वुड्ढे पढमोऽवयवो नपुंसओ निअयनामकज्जेसु / जण्णं तक्कज्जकारो इअरो सव्वुत्तमे सुमओ ... // 527 // एएणऽहिए मासे पुण्णापुण्णायवच्चमच्चुछुहं / / तह लब्भलाहु लोए न होइ किं जेण सो कीवो? // 528 // एवमुवहासवयणं नगिणस्स वालंकि पि पइ पुरिसं / जं चाउमासपमुहे निअगलपासं पि न मुणेइ // 529 // णणु बीए वि पमाणं भद्दवए तस्स कज्जमवि दुगुणं / अपमाणे उवहासो इहं पि किं कायमुहवडिओ? // 530 // जं रविउदयं लहिअं समप्पई जा तिही अ जो मासो। सो खलु उदयो तन्नामंकियकज्जेसु पवरतमो // 531 // तेणं तिहिपडणे पुण पुव्वा न य उत्तरा य पवरतिही। किं संबंधाभावे लब्भं लंभिज्जए किंची // 532 // 402

Loading...

Page Navigation
1 ... 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458