Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 389 // // 390 // // 391 // // 392 // // 393 // // 394 // तीए पमाणकरणे अपमाणं सासणं समग्गं पि / कायव्वं विवरीया जेणं दोण्हं पि दो पंथा नणु वद्धमाणसूरी जह तह जिणवल्लहो वि संजाओ। सेसं जिणवइसुत्तणमिअ चे अइसुंदरं वयणं जह उसभाइजिणिंदा विगप्पिआ ससमयाणुवाएण / सव्वेहि कुवक्खेहिं अ तह एसो एवमवि जुत्तं णणु एवं बहु खायं जायं कह सव्वहा अलीअमिणं / जह परवयणाखित्ता विसं पि पीअंतऽणाभोगा सम्मट्ठिीणं पि अ अणभोगो जिणवरेहिं निद्दिद्यो / सो अइआरो निण्णयवयणं जा तअणु विवरीअं बहुकालदूरदेसंतरिआणं निण्णयं पि को कुणइ ? / उप्पण्णम्मि विवाए निण्णयवयणं जह इआणि कहमण्णह बारससयचउवरिसे खरयराणमुप्पत्ति। . भासंता वि नवंगीवित्तिकरो खरयरो त्ति वयं जं पुण कत्थ वि पुत्थयलिहिअंदीसइ अ खरयरे गच्छे। सिरिअभयदेवसूरी तप्पट्टे वल्लहो लिहिओ तं खरयरवयणाणं अणुवाओ भयाणऽणाभोगा। जह कल्लाणगछटुं कत्थ वि कप्पस्स वक्खाणे पढमंगदीविआए उज्जोअणसूरि खरयरे गच्छे। . लिहिअंदर्छ सरलो को ण भासिज्ज अणुभासं? जं पुण जेहिं पइटुं आवण्णो खरयरो त्ति सो सूरी / उवएससत्तरीए भणिओऽभयदेवनामेणं तकारोऽनाभोगी पच्चक्खं जेणऽणंतसंसारी। भणिओ वि तेण थुणिओ जिणप्पहो धम्मपडिवक्खो // 395 // // 396 // // 397 / / // 398 // // 399 // // 400 // 369
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