Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 395
________________ गणहरसड्ढसयस्सा वित्तीए वण्णिओ अ जिणदत्तो।। सम्मं विआरणिज्जं वण्णयवज्जं जहा जायं // 329 / / वण्णयवयणं लोआभाणयणाएण पाय पहवडिअं। जह निअयमायरं को डाइणिवाइ त्ति लोउ त्ति // 330 // जिणसेहरचंदप्पहनरसिंहप्पमुहवण्णयाहरणं / . किंचि वि सम्मं संबंधसंगयं तं पि नो सव्वं // 331 // निक्कासिओ गहेउंगलम्मि जिणसेहरो त्ति खरयरया। . रुद्दोलिआ य अहिनवगोअमसामि त्ति पडिवण्णा // 332 // जह सिंहं निअपिअरं वणिज्जतं मुणिअ मिअपमुहा / निअनिअपिअरं गयघडविदारयं वण्णयं ति मुहा // 333 // अहवा सासणसूरिं पासिअ पासंतकुमइवग्गं पि। तित्थअणुगरणमित्तं तब्भत्ता वण्णयं ति मुहा - // 334 // पाओगहणा एगं सच्चमसच्चा य अणुहरा सेसा। जह जिणसासणमेगं सच्चं सेसा असच्चा य . // 335 // जिणवल्लहो अ एवं गुरुणा चत्तो न केणवंगिकओ। अप्पबिओ बहु भमिओ कइजणअसुभाण उदएणं // 336 // तेण कओ विहिसंघो अप्पबिओ सावओ अतिविहो वा / निरखच्चे परलोगं गयम्मि जा दुन्नि वरिसाइं // 337 // तेण पलोअंतेणं लहिओ एगो अ सोमचंदमुणी। अण्णुण्णं वयबंधं काऊणं कारिओ सूरी // 338 // जिणवल्लहजिणदत्तायरिअपयं जारगब्भसारित्थं / . सीमंतसमं पुत्थयलिहणं को कुणइ तस्सावि? // 339 // पव्वज्जाउट्ठावणुवहाणसुण्णो वि चिइनिवासी वि। सिद्धंतपारगामी सूरी वि विगोवणुत्तीए // 340 // 365

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